गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
|
173 पाठक हैं |
तुम्हारे सजने-सँवरने के काम आयेंगे, मेरे खयाल के जेवर सम्भाल कर रखना....
21
जो याद आई तो आँखें भिगो गये रिश्ते
जो याद आई तो आँखें भिगो गये रिश्ते।
शहर की भीड़ में बच्चों से खो गये रिश्ते।।
सुलग रहा है हर इक घर झुलस रहा आँगन,
दिलों में ऐसी कोई आग बो गये रिश्ते।
मेरा ख़याल था महकेंगे ताज़गी देंगे,
मगर ख़याल में काँटे चुभो गये रिश्ते।
हर एक रात शिकायत कभी बहस करके,
लिपट के मुझसे मेरे साथ सो गये रिश्ते।
मेरे ख़तों को जलाकर सिसक उठा वो भी,
ज़रा सी देर में लो ख़ाक हो गये रिश्ते।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book