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गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : उत्तरा बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8809
आईएसबीएन :9788192413822

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तुम्हारे सजने-सँवरने के काम आयेंगे, मेरे खयाल के जेवर सम्भाल कर रखना....



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शह दी है पियादे ने कोई बात नहीं है


शह दी है पियादे ने कोई बात नहीं है।
बाक़ी है अभी खेल अभी मात नहीं है।।

फस्लें न उगेंगी न कभी प्यास बुझेगी,
ये ओस की बूँदें हैं ये बरसात नहीं है।

नन्हा सा दिया देख के घबराये जो सूरज,
ये क़द की बुलन्दी है करामात नहीं है।

कहते हैं कोई शहर में अब भी है वफा़दार,
हालाँकि मेरी उससे मुलाका़त नहीं है।

मज़हब की सलाख़ों में मुझे क़ैद न करना,
इन्सान हूँ मैं कोई मेरी जात नहीं है।

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