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कविता संग्रह >> अक्षर अक्षर चूम लिया

अक्षर अक्षर चूम लिया

देवल आशीष

प्रकाशक : नवचेतन प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8794
आईएसबीएन :9788189006327

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‘अक्षर अक्षर चूम लिया’ काव्यसंग्रह में कवि ने गीतों और गजलों को पड़ोसी बना दिया है

Akshar Akshaar Choom Liya - A Hindi Book by Dewal Ashish

काव्यप्रेमी पाठकों की नजरों से ऐसे काव्यसंग्रह कम ही गुजरे होंगे जिनमें दो भिन्न काव्यधाराओं को एक ही धागे में पिरो दिया गया हो। ऐसा आपको देखने को मिलेगा केवल आशीष के काव्य संग्रह ‘अक्षर-अक्षर चूम लिया में’। इस संग्रह में कवि ने गीतों और गजलों को पड़ोसी बना दिया है।

उनकी रचनाओं के कुछ अंश देखिये -

यूँ भरम दिल को दिला कर लौट आए
फूल पत्थर पर चढ़ा कर लौट आए

लोभ मन में लाभ का हर पल प्रबल है
भाल पर लेकिन सजा है लाल टीका
क्या करेंगे आचरण अपना बदल कर
पाप धोने का सरल है जब तरीका

पुण्य भी संग में कमा कर लौट आए
भक्तजन गंगा नहाकर लौट आए

प्रिये, तुम्हारी सुधि को मैने यूँ भी अक्सर चूम लिया
तुम पर गीत लिखा फिर उसका अक्षर अक्षर चूम लिया

सर झुके देखे मगर श्रद्धावनत देखे नहीं
राम तो देखे, कभी हमने भरत देखे नहीं

भूख का अहसास क्या होगा डिनर की मेज पर
भूख क्या होती है, सूखी रोटियों से पूछिये

ये रोज नक़ाबें बदलेंगे, बच्चों की किताबें बदलेंगे
कुछ तंगदिलों की नज़रों में मीरा का मुखालिफ़ मीर है क्यों

हम अंधेरों को दूर करते हैं
अपनी ग़ज़लों से नूर करते हैं।

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