कविता संग्रह >> नये समर के लिए नये समर के लिएपंकज मिश्र अटल
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कथ्य प्रधान कविता सामूहिक संवेदन को ललकारती है
नये समर के लिए विपुल आक्रोश और जनचिन्ता की कविताओं का संग्रह है, जो न केवल वर्तमान परिवेश में उभरती समस्याओं को अभिव्यक्ति प्रदान करता है, अपितु उन समस्याओं का समाधान भी देता है जिसमें चीख और शोर और सूरज जैसे सशक्त प्रतीकों के माध्यम से कवि ने जहाँ अपने भावों को सशक्तता से अभिव्यक्त किया है, वहीं इन तमाम प्रतीकों की सृष्टि करके अतुकान्त कविता के क्षेत्र में अपरम्परागत प्रतीकों को एक सुनिश्चित स्थान भी प्रदान किया है। इन तमाम कविताओं की प्रतीकात्मक शब्दावली और परिवेशीय विकृति के दृश्यों से पाठकों पर जो प्रभाव पड़ता है वह यह है कि बदलाव अपरिहार्य है। कवि में मन से जो अप्रोच शक्ति है वह इस भीड़ की चीख के साथ तादात्म्य से आती है।
जो भी चीख रहा है, मेरी चीख है....
चीखो (तुम भी) और
जोर से चीखो।
जो भी चीख रहा है, मेरी चीख है....
चीखो (तुम भी) और
जोर से चीखो।
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