लोगों की राय

कविता संग्रह >> मुट्ठी भर रोशनी

मुट्ठी भर रोशनी

श्रीनाथ प्रसाद द्विवेदी

प्रकाशक : हिन्दी लिटरेरी सोसाइटी आफ कनाडा प्रकाशित वर्ष : 2003
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8788
आईएसबीएन :0968964915

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

356 पाठक हैं

चाँदनी रात भर पास बैठी रही, हम अंधेरों में अपने भटकते रहे

Ek Break Ke Baad

इस काव्य संग्रह में गत दो दशकों में की कुछ एक रचनाएँ हैं। जीवन में जो कुछ देखा, सुना और जिया उसे ही शब्दों में समेटने का प्रयास किया है। वैसे सृजन के अविरल प्रवाह में जो विचार, भावनाएँ और कल्पनाएँ आईं उन सभी को अभिव्यक्ति का परिधान दिया। यह सच है कि अनुभूति की मुट्ठी में भावों की रोशनी बंद थी जब खुली तो उन्हीं सिमटी किरणों ने रचनाओं का रूप ग्रहण किया। मुट्ठी के संग्रह की अपनी सीमा तथा विवशता है यही कुछ मेरी रचनाओं के साथ भी है जिसे स्वीकारने में मुझे संकोच नहीं। इस संकलन में मूलतः गीत और मुक्त छंद की शैली में कविताएँ हैं। गीतों में सामान्यतः भावों की गहनता और गीतात्मकता का बाहुल्य रहता है जबकि मुक्तछंदीय कविताओं में विचारों में विस्तार अपनी सम्पूर्ण तरलता के साथ उभरता है।

निःसंदेह जीवन में परस्पर विरोधी तत्वों का समावेश रहता है - आँसू-मुस्कान, वियोग-संयोग, लाभ-हानि और जय-पराजय आदि युग्मों से हम निरंतर प्रभावित होते रहते हैं और यही प्रभाव हमारी सृजन प्रक्रिया को उकेरता भी है।


प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book