विविध >> मुझे हिन्दू होने का गर्व है मुझे हिन्दू होने का गर्व हैगोपाल जी गुप्त
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हिन्दू धर्म की एक अनकही कथा तथा हिन्दू जीवनपद्धति-संकल्पनाएं एवं सिद्धान्त
अनादिकाल से ही भारतीय दार्शनिकों, विचारकों, ऋषियों-मुनियों व महर्षियों का दृष्टिकोण सार्वदेशिकता का रहा है. सहस्राब्दियों से भारत विभिन्न संस्कृतियों – आर्य, द्रविड़, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई, मुसलमान आदि का मिलन स्थल रहा है. किन्तु मात्र हिंदूधर्म ही इतना विशाल और सहनशील धर्म है. जिसमें सभी को सम्मान व आदर मिला और इसने सभी को अपनाया. इसमें सभी के सुख, समृद्धि, शांति, कल्याण की कामना की गई. किसी से द्वेष नहीं किया गया, क्योंकि हिंदूधर्म “वसुधैव कुटुम्बकम्” की मान्यता तथा विश्वशांति का पोषक रहा है।
‘हिन्दुत्व’ हिंदूवाद, हिंदूधर्म, दर्शन, संस्कृति व आदर्श की अति विशाल संरचना है, किन्तु यह कुछेक धार्मिक सिद्धांतों का संग्रह नहीं है. वस्तुतः हिंदुत्व जीवनशैली का एक विकसित रूप है. हिंदूधर्म का न कोई संस्थापक है, न देवदूत या पैगम्बर और न इसकी ज्ञात उत्पत्ति ही है. क्योंकि यह शाश्वत, अनादि और सनातन है।
इस प्रकार प्रस्तुत पुस्तक “मुझे हिन्दू होने का गर्व है” में ऐसे ही अनेक विषयों का समावेश है, जो हिंदूधर्म, दर्शन व संस्कृति को श्रेष्ठ प्रमाणित करता है, जिसपर किसी को भी हिंदू होने पर गर्व की अनुभूति होती है।
‘हिन्दुत्व’ हिंदूवाद, हिंदूधर्म, दर्शन, संस्कृति व आदर्श की अति विशाल संरचना है, किन्तु यह कुछेक धार्मिक सिद्धांतों का संग्रह नहीं है. वस्तुतः हिंदुत्व जीवनशैली का एक विकसित रूप है. हिंदूधर्म का न कोई संस्थापक है, न देवदूत या पैगम्बर और न इसकी ज्ञात उत्पत्ति ही है. क्योंकि यह शाश्वत, अनादि और सनातन है।
इस प्रकार प्रस्तुत पुस्तक “मुझे हिन्दू होने का गर्व है” में ऐसे ही अनेक विषयों का समावेश है, जो हिंदूधर्म, दर्शन व संस्कृति को श्रेष्ठ प्रमाणित करता है, जिसपर किसी को भी हिंदू होने पर गर्व की अनुभूति होती है।