भाषा एवं साहित्य >> शब्द शिल्प शब्द शिल्पना. रा. कदम
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शब्द, ध्वनि और भाषा पर साहित्यिक निबंध संग्रह
स्वतंत्र तथा सार्थक ध्वनि ही ‘शब्द’ है। शब्द साहित्य का माध्यम है। हम अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिये शब्दों में अर्थ भर देते हैं। अपने भावों की अभिव्यक्ति का एकमात्र साधन ‘शब्द’ ही है। अर्थवाही शब्द बने रहते हैं। अर्थहीन शब्द या तो नामशेष होते हैं, या नये अर्थ ग्रहण कर लेते हैं। कथ्य का वाहन ‘शब्द’ ही है। प्रत्येक भाषा में शब्दनिर्मिति लगातार चालू रहती है। इसी शब्द निर्मिति के इतिहास का अभ्यास कर मानव की प्रगति को जाना जाता है। साहित्यकार भी अपनी सशक्त अभिव्यक्ति के लिए नये-नये शब्द सिद्ध करता रहता है।
संत तुलसीदास, संत ज्ञानेश्वर महाराज ने अपनी रचनाओं में ‘शब्दसिद्धि’ का प्रयोग प्रचुर मात्रा में किया है। शब्द लेखक की शक्ति है। लेखक के पास शब्द-रत्नों का भंडार होना चाहिए। दुनियां की भाषाओं में उन भाषाओं के साहित्यकारों ने ‘शब्दसिद्धि’ का प्रयोग कर अपना ‘शब्दशिल्प’ साकार किया है और अपनी भाषा का महत्व बढ़ाया है।
संत तुलसीदास, संत ज्ञानेश्वर महाराज ने अपनी रचनाओं में ‘शब्दसिद्धि’ का प्रयोग प्रचुर मात्रा में किया है। शब्द लेखक की शक्ति है। लेखक के पास शब्द-रत्नों का भंडार होना चाहिए। दुनियां की भाषाओं में उन भाषाओं के साहित्यकारों ने ‘शब्दसिद्धि’ का प्रयोग कर अपना ‘शब्दशिल्प’ साकार किया है और अपनी भाषा का महत्व बढ़ाया है।
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