कहानी संग्रह >> बहता पानी बहता पानीअनिलप्रभा कुमार
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प्रवासी कहानी संग्रह जिसकी प्रत्येक कहानी में भारत की धड़कन है।
अनिलप्रभा की ये कहानियाँ इस अर्थ में पूर्णतः प्रवासी लेखन हैं। उनकी प्रत्येक कहानी में भारत की धड़कन है। यदि पति और पत्नी में पार्थक्य हो गया है, तो भी उसके पीछे विदेश की धरती है। यदि सलीम डॉक्टर नहीं बन सका और मानसिक रूप से पीड़ित हो कर चिड़िया घर में पशु-पक्षियों के साथ रह कर वहीं अपना ‘घर’ बनाने को बाध्य हुआ है, तो उसका कारण एक पराए देश में उसके माता-पिता का पृथक् हो जाना और अपने-अपने ढंग से जीने लगता है। वे दोनों ही भूल जाते हैं कि उनका एक पुत्र हैच और उसको उनकी आवश्यकता है। सलीम का यह अकेलापन ही उसे चिड़ियाघर में पहुँचा देता है। उस देश में और हो भी क्या सकता था। अकेलापन और संबंधों की क्षीणता... लगता है कि ये सारी कहानियाँ पाठक के मन नें भी एक वैसा ही अवसाद भर जाती हैं, जैसा कि उनके पात्रों में रचा-बसा हुआ है। घायल संबंधों का अवसाद। पराए देश और पराई संस्कृति को न स्वीकार कर पाने की और न तोड़ पाने की बाध्यता। उन संबंधों से मुक्त होने के लिए कसमसाता मन और शरीर ... और वे रस्सियाँ हैं कि जितना तोड़ने को प्रयत्न करो वे और जकड़ लेती हैं।
इन कहानियों के गर्भ में अनेक-अनेक उपन्यास छिपे हुए हैं। अनिलप्रभा का लेखन अपना विकास करेगा और निखरेगा तो वह उपन्यासों की ओर बढ़ेगा। उनके पास कथा सुनाने की प्रतिभा है, वह उन्हें कहीं रुकने नहीं देगी।
जन्म : दिल्ली में।
शिक्षा : ‘हिन्दी के सामाजिक नाटकों में युगबोध’ विषय पर शोध।
कार्यक्षेत्र : विद्यार्थी जीवन में ही दिल्ली दूरदर्शन पर हिन्दी ‘पत्रिका’ और ‘युव-वाणी’ कार्यक्रमों में व्यस्त रही। ‘ज्ञानोदय’ के नई कलम विशेशआंक में ‘खाली दायरे’ कहानी पर प्रथम पुरस्कार पाने पर लिखने में प्रोत्साहन मिला। कुछ रचनाएँ ‘आवेश’, ‘संचेतना’, ‘ज्ञानोदय’ और ‘धर्मयुग’ में भी छपीं।
अमेरिका आकर, न्यूयार्क में ‘वायस ऑफ अमेरिका’ की संवाददाता के रूप में काम किया और फिर अगले सात वर्षों तक ‘विज़न्यूज’ में तकनीकी संपादक के रूप में। इस दौर में कविताएँ लिखीं जो विभिन्न पत्रिकाओं में छपीं। न्यूयार्क के स्थानीय दूरदर्शन पर कहानियों का प्रसारण। पिछले कुछ वर्षों से कहानिया और कविताएं लिखने में रत। कुछ कहानियाँ वर्तमान-साहित्य के प्रवासी महाविशेषां में छपी हैं। हंस, अन्यथा, कथादेश, शोध-दिशा और वर्तमान-साहित्य पत्रिकाओं के अलावा ‘अभिव्यक्ति’ के कथा महोत्सव, 2008 में ‘फिर से कहानी’ पुरस्कृत हुई।
संप्रति : विलियम पैटरसन यूनिवर्सिटी, न्यू जर्सी में हिन्दी में भाषा और साहित्य का प्राध्यापन।
संपर्क : aksk414@hotmail.com
इन कहानियों के गर्भ में अनेक-अनेक उपन्यास छिपे हुए हैं। अनिलप्रभा का लेखन अपना विकास करेगा और निखरेगा तो वह उपन्यासों की ओर बढ़ेगा। उनके पास कथा सुनाने की प्रतिभा है, वह उन्हें कहीं रुकने नहीं देगी।
जन्म : दिल्ली में।
शिक्षा : ‘हिन्दी के सामाजिक नाटकों में युगबोध’ विषय पर शोध।
कार्यक्षेत्र : विद्यार्थी जीवन में ही दिल्ली दूरदर्शन पर हिन्दी ‘पत्रिका’ और ‘युव-वाणी’ कार्यक्रमों में व्यस्त रही। ‘ज्ञानोदय’ के नई कलम विशेशआंक में ‘खाली दायरे’ कहानी पर प्रथम पुरस्कार पाने पर लिखने में प्रोत्साहन मिला। कुछ रचनाएँ ‘आवेश’, ‘संचेतना’, ‘ज्ञानोदय’ और ‘धर्मयुग’ में भी छपीं।
अमेरिका आकर, न्यूयार्क में ‘वायस ऑफ अमेरिका’ की संवाददाता के रूप में काम किया और फिर अगले सात वर्षों तक ‘विज़न्यूज’ में तकनीकी संपादक के रूप में। इस दौर में कविताएँ लिखीं जो विभिन्न पत्रिकाओं में छपीं। न्यूयार्क के स्थानीय दूरदर्शन पर कहानियों का प्रसारण। पिछले कुछ वर्षों से कहानिया और कविताएं लिखने में रत। कुछ कहानियाँ वर्तमान-साहित्य के प्रवासी महाविशेषां में छपी हैं। हंस, अन्यथा, कथादेश, शोध-दिशा और वर्तमान-साहित्य पत्रिकाओं के अलावा ‘अभिव्यक्ति’ के कथा महोत्सव, 2008 में ‘फिर से कहानी’ पुरस्कृत हुई।
संप्रति : विलियम पैटरसन यूनिवर्सिटी, न्यू जर्सी में हिन्दी में भाषा और साहित्य का प्राध्यापन।
संपर्क : aksk414@hotmail.com
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