लोगों की राय

उपन्यास >> कोमा

कोमा

प्रमोद कुमार झा

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8728
आईएसबीएन :9788128822407

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

371 पाठक हैं

विकसित राष्‍ट्र बन चुके भारत के एक अतंरिक्ष वैज्ञानिक की काल्‍पनिक कहानी

Coma (Pramod Kumar Jha)

आजकल की तेज रफ्तार जिंदगी में हर आदमी मशीन की तरह भावनाहीन होकर आधुनिकता की दौड़ में आगे-आगे भागता जा रहा है। हालांकि इस बेतहाशा दौड़ में आदमी तरक्‍की के साथ भौतिक सुख-सुविधाएं तो प्राप्‍त कर रहा है पर साथ ही वह प्रकृति से लगातार दूर भी होता जा रहा है। प्रकृति के प्रति हमारी यही अवहेलना और उदासीनता आगे आने वाले समय में हमारे सामने कर्इ समस्‍याएं खड़ी करेगी और उसके दुष्‍परिणाम पूरी मानव जाति को भोगने पड़ेंगे। ‘कोमा’ में विकसित राष्‍ट्र बन चुके भारत के एक अतंरिक्ष वैज्ञानिक की काल्‍पनिक कहानी है जो अपनी सारी जिंदगी अंतरिक्ष अंवेषण के क्षेत्र में लगा देता है और सफलताओं के कई पायदान चढ़ते हुए चंद्रमा और मंगलग्रह पर मानव सहित अंतरिक्ष्‍ायान भेजने में अहम भूमिका निभाता है। पर एक दिन हेलीकॉप्‍टर की दुर्घटना में उसके सिर पर आयी चोट की वजह से वह अचेतावस्‍था (कोमा) में चला जाता है। फिर कोमा की स्थिति में वह क्या महसूस करता है? क्‍या वह कोमा से सामान्‍य अवस्‍था में आने में कामयाब हो पाता है? इन सब सवालों के जवाब ‘कोमा’ को पढ़ने पर ही पता चल सकते हैं।


...Prev |

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book