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जीवनी/आत्मकथा >> अन्ना की जंग

अन्ना की जंग

सुदर्शन भाटिया

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8690
आईएसबीएन :9788128837234

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जनलोकपाल बिल की आधारशिला रखने के बाद भ्रष्टाचार का संपूर्ण नाश करने के लिए अन्ना हजारे की जंग

Anna ki Jung (Sudarshan Bhatia)

भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी दुनिया में अनेक आन्दोलन हुए। इनमें सबसे अलग हैं अन्ना हजारे की अगुवाई में भारत में चल रही लड़ाई। अभी कुछ बड़े मोर्चों पर टीम अन्ना विजयी रही है, मगर अब टीम अन्ना के सदस्यों पर गंदे आरोप लगाये जा रहे हैं। अन्ना कहने लगे हैं कि लोकपाल बिल को तोड़ने और कमजोर करने की साजिशें चल रही हैं। इसी बीच उत्तराखण्ड सरकार ने लोकायुक्त विधेयक सर्वसम्मति से मंजूर करा लिया है। अन्य राज्यों में भी सरगर्मियां तेज हो गई है। अब आगे क्या होगा?...

अन्ना की दिव्य ज्योति


अप्रैल, 2011 में अन्ना हजारे ने जो हलचल, जागृति एवं चेतना जनमानस में पैदा की, उसका लेखा-जोखा अप्रैल में ही सुदर्शन भाटिया में अपनी पुस्तक क्रान्तिदूत अन्ना हजारे में दे दिया था। श्री सुदर्शन भाटिया का अन्ना हजारे पर वह प्रथम मौलिक प्रकाशन था, जिसकी सर्वाधिक सराहना हुई, फिर अगस्त, 2011 में अन्ना हजारे ने जो जंग जीती, वह इतिहास बन गई। सुदर्शन भाटिया की प्रस्तुत पुस्तक अन्ना हजारे की इसी लड़ाई का विस्तृत लेखा-जोखा प्रस्तुत करती है। सम-सामायिक घटनाओं को संतुलित ढंग से समेटते हुए श्री भाटिया जी ने इस पुस्तक भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी रहेगी अन्ना की जंग के रूप में एक और मील कर पत्थर तय किया है।

सुदर्शन भाटिया एक सजग परन्तु सहज लेखक हैं, जो घटनाओं के विभिन्न स्तर पर होने वाली हलचलों, उनके पीछे संचारित होती भावनाओं तथा व्यक्तियों के अंतर्मन का अवलोकन मनोवैज्ञानिक स्तर पर करते हैं। सरकार ने चाहे जो भी दुष्प्रचार किया हो, परन्तु अन्ना टस से मस न हुए। कोई कमजोर व्यक्ति होता तो सरकारी दबाव, बयानबाजी के आगे टूट सकता था, परन्तु अन्ना एक सच्चे सत्याग्रही थे... अपने विश्वास पर अडिग थे... उन्होंने संसद को भी अपना कार्यक्रम बदलने पर विवश किया। यह कोई सन्त-सिपाही... लोक देवता ही करवा सकता था। अनेक उतार-चढ़ाव आए... कभी पारा ऊपर, कभी नीचे लेकिन अन्ना नहीं हारे...। सुदर्शन भाटिया ने बहुत गम्भीरता से सारी घटनाओं एवं चरित्रों का आकलन कर वैज्ञानिक पद्धति पर यह पुस्तक रची है, जो अपार पाठक समूह तक अपनी महक फैलाएगी।

जीवन-चरित्र सदा हमें प्रेरित करते हैं। यह भी आवश्यक है कि इन जीवन-चरित्रों में सामग्री का चयन, प्रस्तुति एवं बाह्य साक्ष्य से पुष्ट हो। आदर्श का अवतरण पाठकों के लिए प्रेरणादायक होता है। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, स्वामी विवेकानन्द... आदि अनेक महापुरुषों के चरित्र भारतीय मानस को स्पंदित एवं प्रेरित करते आए हैं। समकालीन सन्दर्भों में जयप्रकाश नारायण समग्र क्रांति के उद्घोष के बाद अन्ना हजारे मात्र ऐसे लोकनायक हैं जिन्हें जन-जन का समर्थन बिना मांगे मिला है। ऐसे महान व्यक्तित्व का जीवन-चरित्र लिखना अपने आप में उपलब्धि है। श्री सुदर्शन भाटिया अपनी तल्लीनता, तत्परता एवं मेधा के कारण साधुवाद के पात्र हैं तथा सभी जीवनी लेखकों के लिए एक सार्थक उदाहरण।

प्रस्तुत पुस्तक अन्ना के आगामी कार्यक्रमों की रूप-रेखा को भी परिभाषित करती है...


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