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सत्ताइस साल की उमर तक

रवीन्द्र कालिया

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :104
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8630
आईएसबीएन :0

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सत्ताइस साल की उमर तक पुस्तक का आई पैड संस्करण

Sattais Saal Ki Umar Tak - A Hindi Ebook By Ravindra Kaliya

आई पैड संस्करण


‘अब कहानी में सिर्फ दो पात्र रह जाते हैं और दोनों एक दूसरे से कटे हुए।.....अकहानी के दोनों पात्र भी चेहरा विहीन और अकेले अकेले हैं महानगर में। यहाँ उन्हें भीड़, लड़कियाँ और क्नाट प्लेस की आक्रान्त करता है। इन पात्रों की भाषा तर्क हीनता भरी टिप्पणी की भाषा है।......इस प्रक्रिया में कहानी का फार्म नितांत कथाहीन वाक्यों या वक्तव्यों का पर्याय बन जाती है।....‘मैं’ ‘विकथा’ आदि में नायक और भी ऊलजलूल और तर्कहीन हो गयी है।....पात्र की निर्जनता को व्यंजित करने के लिए कालिया ने जो शैली विकसित की थी (‘त्रास’ में) जिसमें सिर्फ़ तृतीय पुरुष में और ‘इंडायरेक्ट टैस’ में संवाद रखे थे, अब वे अपनी चरम परिणति पर पहुँचते हैं।.......यदि रवीन्द्र कालिया की कहानियों में कुछ सकारात्मक तत्व न होता तो ये यथार्थ के प्रति बार-बार आग्रह करते दिखायी न पड़ते जैसा कि आज प्राय: दिखायी पड़ता है।......रवीन्द्र कालिया के पास एक सचेत भाषा शिल्प है, स्थितियों की विसंगतियों की कंट्रास्ट तथा विद्रूप के ज़रिये और निर्भावुक ढंग से उभार सकने की उनमें पर्याप्त क्षमता है जो यथार्थवादी पद्धति के विकास के लिए आवश्यक माध्यम है......कालिया यथार्थवादी पद्धति के बहुत करीब आये हैं, यही उनके आत्मसंघर्ष की छोटी सी किन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
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