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प्राकृतिक स्वास्थ्य प्राकृतिक उपचार

ए.पी. सिंह

प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :328
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8590
आईएसबीएन :9788183222495

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प्राकृतिक स्वास्थ्य प्राकृतिक उपचार

Prakritaik Swasthya Prakritik Upchaar (A. P. Singh)

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

आदर्श स्वास्थ्य पाने की मेरी खोज सालों पहले अपनी ख़ुद की जीवनशैली संबंधी समस्याओं से शुरू हो गई थी। उस संकटकाल में जीवनशैली में बदलावों की अहमियत और आदर्श स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करने में पोषाहार की भूमिका को लेकर मेरी जागरूकता महत्वहीन थी, लेकिन मेरी बीमारी ने मुझे उद्वेलित किया कि मैं स्वास्थ्य और आरोग्य के नए पहलुओं को तलाशने की कोशिश करूँ। मेरी इस यात्रा के दौरान मुझे ऐसे समाधान मिले, जिनके ज़रिये मैंने अपना स्वास्थ्य दुबारा हासिल किया और रोगमुक्त व स्वस्थ जीवन जीना शुरू किया।

हमारे चिकित्सा संस्थानों में भावी चिकित्सकों को इस बात के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है कि किस तरह फ़ार्मास्यूटिकल्स सूत्रों या सर्जिकल प्रक्रियाओं के ज़रिये लक्षण पहचाने जाएँ और उनका उपचार किया जाए। इन संस्थानों में बचावकारी दवाओं का विषय सबसे कम पढ़ाया जाता है। दरअसल हम चिकित्सकों को उपचारात्मक संस्कृति का प्रशिक्षण मिलता है, जहाँ जीवनशैली में बदलावों और पौष्टिक आहार को कभी प्राथमिक विषय के रूप में नहीं पढ़ाया जाता। शुरुआती स्तरों पर स्वास्थ्य और आरोग्य के इन तथ्यों को समझना और ग्रहण करना मेरे लिए बहुत मुश्किल था। मैं ईमानदारी से स्वीकार करूँगा कि समय के साथ मेरे ज्ञान में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन आए हैं। इन्हीं परिवर्तनों ने मुझे प्रेरित किया कि मैं यह ज्ञान उन लोगों के साथ बाँट सकूँ, जिनके लिए यह अधिक प्रासंगिक हो।

जीवनशैली संबंधी बीमारियाँ अब सिर्फ़ पश्चिमी दुनिया या विकसित देशों की बीमारियाँ नहीं रहीं, भारत में भी इनका परिदृश्य पिछले एक दशक में भयावह ढंग से परिवर्तित हुआ है। जीवनशैली तथा खानपान के रुझान में बदलाव और संक्रमणकारी बीमारियों को नियंत्रित करने के महत्वपूर्ण वैज्ञानिक शोध, अब संक्रमित बीमारियों से अधिक होने वाली असंक्रमित बीमारियों की तरफ़ स्थानांतरित हो गए हैं।

इस स्थानांतरण के परिणामस्वरूप भारत धीरे-धीरे दुनिया की बीमारियों की राजधानी के रूप में उभरता जा रहा है। जीवनशैली संबंधी बीमारियाँ महामारी की तरह युवा पीढ़ी को तेज़ी से अपनी चपेट में ले रही हैं। अपोलो अस्पताल समूह के ताज़ा सर्वेक्षण से संकेत मिले हैं कि भारतीय स्कूली बच्चे सेहत संबंधी अधिकतर मामलों में भारतीय वयस्कों के मुक़ाबले कम स्वस्थ हैं। इस भयावह तस्वीर के लिए दो घटक मुख्य रूप से ज़िम्मेदार हैं – पहला है ग़लत जीवनशैली और दूसरा है पोषाहार की कमी। नतीजा यह हुआ है कि हम भारतीय जैविक रूप से तेज़ी से बूढ़े होते जा रहे हैं और इससे हमारे जीवन से खिलवाड़ हो रहा है। ग़लत जीवनशैली और पोषाहार की कमी के कारण कम से कम विभिन्न प्रकार की जीवनशैली या क्षयकारी बीमारियाँ सामने आईं हैं। इनमें मधुमेह, हृदय रोग, कैंसर, उच्च रक्तचाप, मोटापा, गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस प्रमुख रूप से शामिल हैं। इनमें से कई बीमारियाँ बहुत कम उम्र के लोगों को हो रही हैं, जबकि सिर्फ़ 20 साल पहले की स्थितियाँ बिलकुल अलग थीं।

हिप्पोक्रेट्स से लेकर मोज़ेस मैमोनिडेस और सुश्रुत से लेकर चरक तक सभी प्राचीन चिकित्सकों ने अपनी शिक्षाओं में आदर्श पोषण और स्वस्थ जीवनशैली के महत्व पर ज़ोर दिया है। आज के भयावह परिदृश्य को देखते हुए मैंने यह महसूस किया कि समय बदल चुका है और वैकल्पिक थैरेपी की तरफ़ लोगों की दिलचस्पी फिर से बढ़ने लगी है। मैं हमारी चिकित्सा बिरादरी के कुछ ऐसे लोगों से भी मिला, जो इसमें सार्थक दिलचस्पी दिखा रहे हैं और लोगों की मदद करने के लिए आरोग्यकारी नीतियों का प्रयोग कर रहे हैं। वैसे अब बचावकारी चिकित्सा को उसका उचित स्थान मिल रहा है और डॉक्टरों ने न सिर्फ़ इसका प्रयोग शुरू कर दिया है, बल्कि प्रिवेंटिव कॉर्डियोलॉजी, प्रिवेंटिव ओंकोलॉजी का अभ्यास भी शुरू कर दिया है।

बढ़ते सेहत संबंधी ख़तरों को देखते हुए लोगों को सही जानकारी देना और उन्हें स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाना एक महत्वपूर्ण काम है। मैं स्वास्थ्य विषय पर लिखने वाले सभी लेखकों को धन्यवाद देता हूँ और उनके प्रयास की प्रशंसा करता हूँ कि वे लोगों को शिक्षित कर रहे हैं। तारि हर कोई रोग-मुक्त और दीर्घायु जीवन जी सके। यह पुस्तक भी इसी दिशा में एक छोटा सा प्रयास है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि देश के लोगों को स्वस्थ और रोगमुक्त बनाने की दिशा में मेरा यह प्रयास कारगर हो।

डॉ. (मेजर) ए.पी. सिंह का जीवन परिचय


डॉ. (मेजर) ए.पी. सिंह ख़्यात स्वास्थ्य परामर्शदाता के रूप में प्रतिष्ठित रहे हैं। उन्होंने पटना मेडिकल कॉलेज से एम.बी.बी.एस. और एम.एस. (ऑप्थेल्मोलॉजी) व अपोलो, हैदराबाद से पी.जी.डी.पी.पी.एच. किया था। वे आई.सी.एम.आर. के वशिष्ठ शोधशास्त्री रहे और आर्म्ड फ़ोर्सेस मेडिकल सर्विसेज में ऑप्थेल्मोलॉजिस्ट के रूप में कार्य किया। इसके साथ ही वे स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लि. के एक अग्रणी हॉस्पिटल के ऑप्थेल्मोलॉजी विभाग के प्रमुख रहे। उन्होंने आरोग्यता और जीवनशैली संबंधी बीमारियों से बचाव पर देश भर में प्रशिक्षण भी दिया। पोषण और आरोग्यता के क्षेत्र में लंबे समय तक सक्रिय रहे। डॉ. सिंह एक सफल लेखक के रूप में जाने जाते हैं। सन 2011 में उनकी मृत्यु हो गई।

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