अतिरिक्त >> एक ही जिन्दगी एक ही जिन्दगीसमरेश बसु
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एक ही जिन्दगी पुस्तक का आई पैड संस्करण
आई पैड संस्करण
चिरन्तन काल से ही कोई न कोई नारी व्यक्ति के जीवन, संसार या राष्ट्र में विनाश को अनिवार्य बनाती आई है। इस मामले में सर्वनाश के जितने भी अस्त्र हो सकते हैं, सब के सब नारी के सौंदर्य में छिपे रहते हैं। पुरुष इस मामले में प्रकृति के हाथ में खिलौना की भूमिका ही अदा करता है।
महेन्द्र के साथ भी यही हुआ। जीवन भर एक बँधी-बँधाई डगर पर चलता हुआ जब वह लखपती हो गया तो उसे नष्ट करने को उसके जीवन में ईरानी आ जुटी और उसने महेन्द्र का सारा जीवनक्रम ही बदल डाला। और तब उत्थान की जगह ह्रास शुरू हुआ जीवन निःसन्देह एक ही है, और आदमी को एक ही जीवन में अपना सारा काम-काज निपटा लेना पड़ता है। इसे भूल जाने की गलती की वही सजा भुगतनी पड़ती है जो महेन्द्र को ईरानी के कारण भुगतनी पड़ी।
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