लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> फ़ैज़ की शख़्सियत : अंधेरे में सुर्ख लौ

फ़ैज़ की शख़्सियत : अंधेरे में सुर्ख लौ

एम. एम. प्रसाद सिंह, चंचल चौहान, के. सोज़

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :216
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8427
आईएसबीएन :9788126721467

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

82 पाठक हैं

फ़ैज़ की शख़्सियत के सभी पहलुओं को उजागर करती किताब

Faiz ki Shakshiyat: Andhere Mein Surkh lau (M.M Prasad Singh,Chanchal Chauhan,K.Soz)

फ़ैज़ की शख़्सियत के सभी पहलुओं को उजागर करने वाली यह किताब हिन्दी-उर्दू क्षेत्र के आम पाठकों के लिए ही तैयार की गई है। इसमें फ़ैज़ की आपबीती दास्तान है, तो उसके साथ ही उनकी पत्नी एलिस फ़ैज़ का दिलचस्प और पारदर्शी-सा अंतरंग संस्मरण भी है। रावलपिंडी षड्यंत्र केस के तहत चार साल से अधिक पाकिस्तान की भिन्न-भिन्न जेलों में बीती उनकी ज़िदंगी के मुश्किल दिनों की यादों को लगभग क़िस्सागोई की शक़्ल में पेश करने वाले मेजर मुहम्मद इस्हाक़ का वृत्तांत फ़ैज़ की शख़्सियत के भिन्न-भिन्न पहलुओं को रौशन करता है। रावलपिंडी षड्यंत्र केस का पूरा लेखा-जोखा कांतिमोहन ‘सोज़’ ने इतिहास की सिलसिलेवार घटनाओं के संदर्भ में पेश किया है। फ़ैज़ के परिवार के भीतर आत्मीय ढंग की पैठ रखने वाले आफ़ताब अहमद और इंद्रकुमार गुजराल के संस्मरण पाकिस्तान के सैनिक शासन को बेपर्द करते हैं, और फ़ैज़ के व्यक्तित्व के जानदार रगरेशे से हमें परिचित कराते हैं। इसी तरह ग़ुलाम मुस्तफ़ा ‘तबस्सुम’ के संस्मरण में फ़ैज़ के छात्र जीवन की यादें दिलचस्प घटनाओं के माध्यम से बताई गई हैं।

रूसी भाषा में फ़ैज़ की जीवनी लिखने वाली रूसी विदुषी लुदमिला वेसिलेवा अपने आलेख के द्वारा पाकिस्तान और देश-विदेश की अंदरूनी राजनीति और फ़ैज़ की साहित्यिक-सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से हमें रू-ब-रू कराती हैं। रूसी विद्वान सुर्कोफ़ का साहित्यिक संस्मरण फ़ैज़ की अदबी हैसियत पर प्रकाश डालता है। फ़ैज़ के निजी चिकित्सक और पारिवारिक मित्र अय्यूब मिर्ज़ा का संस्मरण फ़ैज़ की ख़ूबियों और कमज़ोरियों का उद्घाटन करता है।

लाहौर और लखनऊ के बीच फ़ैज़ की आवाजाही को एक अफ़साने की शक़्ल में अतुल तिवारी ने पेश किया है।

इन लेखों-संस्मरणों के अलावा इस किताब में फ़ैज़ द्वारा दिए गए तीन इंटरव्यू भी संकलित हैं। इंटरव्यू कला समीक्षक सुनीत चोपड़ा, हिंदी कवि-पत्रकार इब्बार रब्बी और उर्दू के प्रोफ़ेसर और शायर नईम अहमद द्वारा तैयार किए गए हैं। फ़ैज़ को, ख़तों के आईने में ज़हूर सिद्दीक़ी ने पेश किया है जबकि फ़ैज़ और एलिस फ़ैज़ के रिश्ते की छानबीन उनके खतों के आधार पर नूर ज़हीर ने की है। शरद दत्त की रिपोर्ट भी फ़ैज़ की शख़्सियत को बारीक रंगों-रेखाओं मे प्रस्तुत करती है। संपादक मंडल के छह विद्वानों की टोली ने इस किताब की सामग्री का संचयन-संपादन किया है।


प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book