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अतिरिक्त >> चित्रफलक चित्रफलकअमृत राय
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चित्रफलक पुस्तक का आई पैड संस्करण
आई पैड संस्करण
सेक्स भी कोई बुरी चीज़ नहीं है, और न डरने या घबराने की चीज़ है। फ्रायड की क्रान्ति ने वह तमाम बंद दरवाजे खोल दिये हैं। जो चीज़ अंधेरे में पड़ी बिजबिजा रही थी और बदबू फैला रही थी वह अब खुली हवा और धूप में आ गयी। बहुत अच्छी बात हुई। एक पाखंड ख़त्म हुआ। इंसान की एक भूख को उसके सही नाम से पुकारा जाने लगा।
मगर आदमी उसके अलावा भी तो कुछ है। हर वक़्त सेक्स के चहबच्चे में ही गोता लगाते रहना बीमारी की निशानी है और उस कमज़ोरी की जो संयम खो देने से आदमी के अन्दर पैदा होती है। क्योंकि प्रकृति में, भोग के साथ संयम का भी विधान है। स्वास्थ्य तो जाने ही दीजिए, उस भोग के लिए भी संयम अपेक्षित है।
इसके बाद अब इतना ही कहना शेष है कि ये नयी कहानियाँ हैं, मगर ‘नयी’ कहानियाँ नहीं है। कहानियाँ अच्छी हैं, खूबसूरत हैं, और ऐसी हैं जो यक़ीनन् आपके मन पर अपनी लकीर छोड़ जायेंगी मगर इनका नयापन कोई स्वयंभू नयापन नहीं, पुराने के गर्भ में आकार लेनेवाली नयी सृष्टि का नयापन है, जिस अर्थ में हर सुन्दर; सप्राण कृति नयी होती है–सत्य का कोई नया कोण; सौन्दर्य की कोई नयी भंगिमा; शिवत्व का कोई नया आयाम; किसी नयी सी अनुभूति का संस्पर्श, किसी अछूती सी संवेदना का आस्वाद, जब जो चीज़ जैसे मेरे मन को छू गयी उन्हीं की तसवीरें।
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