अतिरिक्त >> आहुति आहुतिसोमन
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आहुति पुस्तक का आई पैड संस्करण...
आई पैड संस्करण
मैं किस मुँह से भी कुछ कहता? मैंने तो जान-बूझकर आप सबको अपमानित किया, ताकि आप लोग मुझे अपने घर से निकाल दें। लेकिन आप लोगों ने घर से नहीं निकाला। मैंने भी कई बार घर छोड़ देने या आत्महत्या करने की सोची, फिर प्राध्यापक को भी मार डालने की कोशिश की, ताकि मुझे फाँसी की सजा मिल जाये। लेकिन यह सब कुछ न हुआ और मैं जीता रहा। मेरे जीवन का एक ही सहारा था...
मुझे हेमा को घर में देखने का अवसर मिल जाता था...हेमा ठीक तो कहती है कि मैं उसका नाम लेने योग्य नहीं लेकिन मैं तो मन-ही-मन हेमा की माला जपता था, इसे क्या मालूम? मैंने हेमा के साथ कई बार छेड़खानी भी की कि यह मुझे मारे, अपमानित करे! अभी चाकू खोलकर मुझे मारने आयी, तो मेरी खुशी की सीमा न रही, मुझे लगा, मेरी मुक्ति का समय आ गया, मेरे अपराध का दंड मुझे मिल गया। लेकिन, भैया, आपने उसे रोक दिया?
इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए यह नाटक पढ़िए।
इस पुस्तक के कुछ पृष्ठ यहाँ देखें।
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