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रहस्य-रोमांच >> लाल निशान

लाल निशान

सुरेन्द्र मोहन पाठक

प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :312
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8300
आईएसबीएन :9789380871196

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जिन्दगी उसी का साथ देती है जिसको जिन्दगी का मोह न सताता हो। जो मौत से पंजा लड़ाने को सदा तैयार रहता हो

Lal Nishan - A Hindi Book - by Surendra Mohan Pathak

लाल निशान

छठा दिन

गुरुवार : चौदह जनवरी
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सुबह के साढ़े नौ बजे थे।

विमल उस वक्त चैम्बूर में था जबकि मोबाइल की घंटी बजी।

दफेदार वाले मोबाइल की।

उसने स्क्रीन पर निगाह डाली।

सिंगापुर!

हिचकिचाते हुए उसने काल रिसीव की।

‘‘दफेदार?’’–पूछा गया।

‘‘बोलता है, बाप।’’
‘‘रॉस आरनाल्डो।’’

‘‘गुड मार्निंग बोलता है, बाप।’’

‘‘बिग बॉस, बात करेगा। होल्ड।’’

‘‘बरोबर बाप।’’

कुछ क्षण बाद रीकियो फिगुएरा की आवाज आयी।

‘‘दफेदार?’’

‘‘बोलता है, बाप, गुडमार्निंग के साथ बोलता है।’’

‘‘तुम दफेदार बोल रहे हो?’’

‘‘बोलता है न, बाप!’’

‘‘श्योर कि दफेदार बोल रहे हो?’’

‘‘सारी करके बोलता है, बाप, जब दफेदार को फोन लगाया तो दूसरा साइड से दफेदार ही तो बोलेगा!’’

‘‘जरूरी नहीं।’’
‘‘क्या बोला, बाप?’’

‘‘जरूरी नहीं।’’

‘‘क्या बोला, बाप?’’

‘‘जरूरी नहीं।’’

‘‘हीं हीं। मजाक कर रयेला है, बाप, सवेरे सवेरे।’’

‘‘डोंट लाफ।’’

‘‘सारी बोलता है, बाप।’’

‘‘आई एम आस्किंग यू वन लास्ट टाइम। इनायत दफेदार बोलता है?’’
विमल से जवाब देते न बना।

क्या माजरा था?

साले फिरंगी को एकाएक उसके दफेदार होने पर शक हो गया था।

‘‘हल्लो!’’–आवाज आई–‘‘लाइन पर है?’’

उसे एक तरकीब सूझी।

कमजोर तरकीब लेकिन फिलहाल काम कर सकती थी।

‘‘आई आस्कड यू ए क्वेश्चन, मैन। तुम इनायत दफेदार बोलता है?’’

नक्को, बाप।’’–विमल बोला।

‘‘क्या?’’

‘‘मैं इनायत दफेदार नहीं बोलता है।’’

‘‘तो पूछे जाने पर क्यों बोला कि इनायत दफेदार बोलता है?’’

‘‘नहीं बोला।’’

‘‘डेफिनिटली बोला। मेरे को बोला। रॉस को बोला।’’

‘‘बाप, मैं बोला दफेदार बोलता है। इनायत दफेदार बोलता है किधर बोला? इनायत दफेदार बोलता है तो तुम या छोटा बॉस पूछा ही नहीं। छोटा बॉस बोला दफेदार बोलता है, मैं बोला बोलता है। बिग बॉस बोला दफेदार बोलता है, मैं बोला बोलता है।’’

‘‘ब्लडी हैल! वाट्स डिफ्रेंस?’’

‘‘है न डिफ्रेंस, बाप! मैं दफेदार है पण इनायत दफेदार नहीं है।’’

‘‘तो कौन है!’’

‘‘सआदत दफेदार।’’

‘‘वाट!’’

‘‘इनायत दफेदार का भतीजा। इनायत दफेदार मेरा चाचू है।’’

‘‘क्या है?’’

‘‘तुम...दफेदार का नेफ्यू है?’’

‘‘अगर नेफ्यू भतीजे को बोलते हैं तो है।’’

‘‘लास्ट संडे से इतना बार कम्यूनीकेशन हुआ, हर बार तुम बोलता था?’’

‘‘हां।’’    

‘‘डैम यू, बोला क्यों नहीं तुम दफेदार नहीं है?’’

‘‘पण है न मैं दफेदार! कोई मेरे से पूछे दफेदार बोलता है तो मैं क्या बोलेगा? यहीच तो बोलेगा, हां बोलता है!’’

‘‘अरे, ये क्यों नहीं बोला तुम ‘वो’ दफेदार नहीं है? मैं इनायत दफेदार के फोन पर मोबाइल लगाता है तो एक्सपैक्ट करता है कि जवाब इनायत दफेदार देगा। तुम ब्लडी इनायत दफेदार नहीं है तो तुमको ऐसा बोलने का या नहीं बोलने का?’’

‘‘पूछा जाये तो बरोबर बोलने का।’’

‘‘न पूछा जाने पर भी बोलने का। यू हैव नो बिजनेस टु क्रियेट कनफ्यूजन।’’

‘‘क्या बोला, बाप!’’

‘‘ईडियट! डजंट अंडरस्टैण्ड एनीथिंग। अभी बोलो, दफेदार का, इनायत दफेदार का मोबाइल क्यों है तुम्हारे पास?’’

चाचू ने दिया।’’

‘‘क्यों?’’

‘‘वो अंडरगिराउंड है न!’’

‘‘अंडरग्राउंड है तो मोबाइल पर काल रिसीव करने में क्या प्राब्लम है?’’

‘‘चाचू बोलेगा न!’’

 ‘‘क्या?’’

‘‘बाप, मेरे को जो हुक्म हुआ, मैं फालो किया। छोटों का काम बड़ों का हुक्म मानना होता है, उनसे जुबान लड़ाना नहीं, जवाबतलबी करना नहीं?’’

‘‘वैरी स्मार्ट! तो तुम्हारा अंकल तुमको बोला उसके मोबाइल पर काल आये तो रिसीव करने का?’’

‘‘हां।’’

‘‘तुम्हें ये कैसे मालूम कि सिंगापुर से काल आये तो क्या बोलने का, क्या बात करने का?’’

‘‘चाचू बताया न! सिखाया न! सबक दिया न!’’

‘‘दैट मींस इनायत दफेदार तुम्हारे कांस्टेंट टच में है?’’

‘‘है न!’’

‘‘तुमने बिग एच का आर्डर दिया, उसका मोड आफ डिलीवरी चेंज करने को बोला, डालर में अमाउंट जमा कराया, और भी बहुत कुछ किया, सब तुमने किया?’’

‘‘रोकड़ा चाचू खुद जमा कराया, बाकी सब मैं किया।’’

‘‘माल का कलैक्शन भी?’’

‘‘बरोबर।’’

‘‘आनवर्ड सप्लाई भी?’’

‘‘अभी सप्लाई किधर है, बाप!’’

‘‘वाट डू यू मीन?’’

‘‘साला कम्पीटीटर खड़ा होयेला है। चाचू मुकुल देसाई को आर्डर के लिये फोन लगाया, वो भीङू नक्की बोला। रेगुलर कस्टमर चाचू का पण नक्की बोला। बोला, बीस फीसदी कम रेट पर कालिया पर कालिया एंथोनी को आर्डर किया।’’

‘‘हूं।’’

‘‘आज चाचू बाकी डीलरों से भी काटैक्ट करेगा, देसाई जैसा ही जवाब मिला तो...तो बहुत पिराब्लम होयेंगा।’’

‘‘तुम्हारा अंकल...दैट्स यू...बोलता था नया कस्टमर ट्राई करने का?’’

‘‘तभी कुछ बात बनेगा। या चाचू को भी रेट कट करना पड़ेगा। वो साला हलकट कालिया एंथोनी बीस फीसदी कम पर माल देता है तो चाचू को पच्चीस फीसदी कम पर सप्लाई करना पड़ेगा।’’

‘‘कैसे करेगा?’’

‘‘नुकसान उठा के करेगा। पण मजबूरी।’’

‘‘हूं। अंकल ने तुम्हें ये नहीं बताया था कि पिछला दो सप्लाई किधर हुआ था?’’

‘‘नहीं, नहीं बताया था। पण जब वो मेरे को आगे ये बोलने को बोला था कि इस टेम सप्लाई दहिशर वाले खुफिया काटेज पर नहीं मांगता था तो मैं समझ गया था कि पहले सप्लाई उधरीच होता था।’’

‘‘और ग्रीन मीडोज रिजार्ट, मनोरी! डिलीवरी स्पाट के मामले में तुम उसको भी तो यस बोला!’’

‘‘बोला तो बरोबर, पण अंदाजे से बोला, तुम मेरे को शह दिया तब बोला। लगता है कोई गलतबयानी हुई! उस मामले में बोले तो कोई मिस्टेक हुआ, बाप!’’

‘‘दैट्स नाट इम्पार्टेंट नाओ। अभी सुनो तुमको क्या करने का है!’’

‘‘सुनता है, बाप।’’

‘‘तुमको अपने अंकल से, इनायत दफेदार से, मेरा बात कराने का है। उसको बोलो इमीजियेट मेरे से बात करे।’’

‘‘इमीजियेट कैसे होयेंगा, बाप?’’

‘‘क्यों नहीं होगा?’’

‘‘चाचू का मेरे से बात होने का वास्ते चाचू का मेरे को काल लगाना जरूरी। चाचू काल अभी लगा सकता है, टेम लगा के लगा सकता है, और टेम लगा के लगा सकता है।’’

‘‘काल तुम लगाओ।’’

‘‘कैसे होयेंगा, बाप?’’

‘‘अरे, जब चा...चा...चू...चू...तुम्हारा अंकल काल लगाता है तो उसका नम्बर तुम्हारे पास आता है कि नहीं आता?’’

‘‘आता है बरोबर।’’

‘‘तो काल बैक में क्या प्राब्लम है?’’

‘‘चाचू का हुक्म नहीं है।’’

‘‘क्या!’’

‘‘चाचू का हुक्म है मेरे को उसको काल नहीं करने का।’’

‘‘करोगे तो क्या होगा?’’

‘‘वो जवाब नहीं देगा।’’

‘‘कोई इमरजेंसी हो तो?’’

‘‘बाप, कालिया एंथोनी की वजह से उसकी जान पर बनी है, इसी वजह से वो अंडरगिराउंड है और मैं उसका धंधा देखता है, इससे बड़ा इमरजेंसी और क्या होयेंगा?’’

‘‘ओह! ओके, जब कांटैक्ट हो, बोलना मेरे से बात करे।’’

‘‘बोलेगा, बाप।’’

लाइन कट गयी।

‘‘वाट ए मैस!’’–फिगुएरा असहाय भाव से गर्दन हिलाता अपने नम्बर टू से सम्बोधित हुआ–‘‘कितना श्योर था मैं कि जो फोन पर बात करता था, वो दफेदार नहीं था। अभी कनफर्म हुआ वो दफेदार नहीं था, फिर भी दफेदार था।’’

‘‘आई डोंट अंडरस्टैंड, बॉस।’’–रॉस आरनाल्डो उलझनपूर्ण स्वर में बोला।

फिगुएरा ने समझाया।

‘‘ओह!’’–वो खामोश हुआ तो आरनाल्डो बोला–‘‘अनदर दफेदार! सआदत दफेदार! नेफ्यू!’’

‘‘यस। जिस बेस पर पहले हमने सोचा था कि लाइन पर इनायत दफेदार नहीं होता था, उस ब्लडी नेफ्यू ने उसको भी फेल कर दिया।’’

‘‘यानी कि दफेदार सलामत है?’’

‘‘ऐसा ही जान पड़ता है।’’

‘‘तो आप ठीक ही बोले कि बटला से हासिल हुई जानकारी की वजह से आपके दफेदार की बाबत यकीन में हिलडुल हुई थी?’’


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