लोगों की राय

उपन्यास >> दिल्ली

दिल्ली

खुशवंत सिंह

प्रकाशक : किताबघर प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :334
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8282
आईएसबीएन :8170161916

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

232 पाठक हैं

छह सौ साल पहले से लेकर आज तक की दिल्ली की कहानी...

Dilli - A Hindi Book by Khushwant Singh

उपन्यास का नाम शहर के नाम से! जी हाँ, यह दिल्ली की कहानी है। छह सौ साल पहले से लेकर आज तक की। खुशवंत सिंह की अनुभवी कलम ने इतिहास के ढाँचे को अपनी रसिक कल्पनी की शिराओं और मांस-मज्जा से भरा। यह शुरु होती है सन् 1265 के ग़यासुद्दीन बलबन के शासनकाल से। तैमूर लंग, नादिरशाह, मीर तक़ी, औरंगज़ेब, अमीर खुसरो, बहादुर शाह ज़फ़र आदि के प्रसंगों के साथ कहानी आधुनिक काल की दिल्ली तक पहुँचती है - कैसे हुआ नयी दिल्ली का निर्माण! और अंत होता है 1984 के दंगों के अवसानमय परिदृश्य में!

कहानी का नायक - मुख्य वाचक है, दिल्ली को तहेदिल से चाहने वाला एक व्याभिचारी किस्म का चरित्र, जिसकी प्रेयसी भागमती कोई रूपगर्विता रईसज़ादी नहीं, वरन् एक कुरूप हिंजड़ा है। दिल्ली और भागमती दोनों से ही नायक को समान रूप से प्यार है। देश-विदेश के सैर-सपाटों के बाद जिस तरह वह बार-बार अपनी दिल्ली के पास लौट-लौट आता है, वैसे ही देशी-विदेशी औरतों के साथ खाक छानने के बाद वह फिर-फिर अपनी भागमती के लिए बेकरार हो उठता है। तेल-चुपड़े बालों वाली, चेचक के दागों से भरे चेहरे वाली, पान से पीले दाँतों वाली भागमती के वास्तविक सौंदर्य को उसके साथ बिताए अंतरंग क्षणों में ही देखा-महसूसा जा सकता है। यही बात दिल्ली के साथ भी है। भागमती और दिल्ली दोनों ही ज़ाहिलों के हाथों रौदी जाती रहीं। भागमती को उसके गवाँर ग्राहकों ने रौंदा, दिल्ली को बार-बार उजाड़ा विदेशी लुटेरों और आततायियों के आक्रमणों ने। भागमती की तरह दिल्ली भी बाँझ की बाँझ ही रही।


प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book