कहानी संग्रह >> गोआ में तुम गोआ में तुमबलराम
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स्त्री मन की पीड़ा को व्यक्त करता कहानी संग्रह...
प्रख्यात कथाकार बलराम के संग्रह ‘गोआ में तुम’ की कहानी ‘चोट’ का नायक अपनी सहकर्मी की तेजस्विता को सह नहीं पाता और अवांछित निर्णय लेकर उसे ऐसी स्थिति में छोड़ देता है, जहां वह उससे पूछना चाहती है कि तुमने ऐसा क्यों किया? ‘चोट’ में कथाकार ने पुरुष होते हुए भी चोट खाई लड़की के दर्द को पूरी तरह से समझा और उसे शब्दों में पिरोकर पाठकों के सामने रख दिया है।
संग्रह की ज्यादातर कहानियों में बलराम ने कथा लेखन की पुरुष केंद्रित परंपरा को तोड़कर नीर-क्षीर विवेक से स्त्री और पुरुष मन को संतुलित दृष्टि से देखने की कोशिश की है। गोआ में तुम, शुभ दिन, चोट, सब तथा सामना जैसी कहानियों से जब पाठक का सामना होता है तो वह कथाकार के रचनात्मक कौशल का कायल तो होता ही है, प्रेमचंद और फणीश्वरनाथ रेणु की रचनात्मकता का गुणनफल हासिल करने का सुख भी पा लेता है।
संग्रह की सबसे अच्छी कहानी सामना ऐसे ग्रामीण युवक की कहानी है, जिसे आज के ज्यादातर ग्रामीण युवकों के जीवन में घटित होते देखा जा सकता है। संग्रह की कुछ कहानियां हास-परिहास और मनोरंजक तत्वों से ऊब-चूभ हैं।
संग्रह की ज्यादातर कहानियों में बलराम ने कथा लेखन की पुरुष केंद्रित परंपरा को तोड़कर नीर-क्षीर विवेक से स्त्री और पुरुष मन को संतुलित दृष्टि से देखने की कोशिश की है। गोआ में तुम, शुभ दिन, चोट, सब तथा सामना जैसी कहानियों से जब पाठक का सामना होता है तो वह कथाकार के रचनात्मक कौशल का कायल तो होता ही है, प्रेमचंद और फणीश्वरनाथ रेणु की रचनात्मकता का गुणनफल हासिल करने का सुख भी पा लेता है।
संग्रह की सबसे अच्छी कहानी सामना ऐसे ग्रामीण युवक की कहानी है, जिसे आज के ज्यादातर ग्रामीण युवकों के जीवन में घटित होते देखा जा सकता है। संग्रह की कुछ कहानियां हास-परिहास और मनोरंजक तत्वों से ऊब-चूभ हैं।
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