लोगों की राय

सिनेमा एवं मनोरंजन >> गुरुदत्त के साथ एक दशक

गुरुदत्त के साथ एक दशक

सत्या सरन

प्रकाशक : राजपाल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :223
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8185
आईएसबीएन :978-81-7028-910

Like this Hindi book 10 पाठकों को प्रिय

73 पाठक हैं

अब्रार आल्वी की यात्रा...

Gurudutt Ke Sath Ek Dashak - A Hindi Book - by Satya Saran

गुरुदत्त, शायद हिन्दी फ़िल्म इतिहास में एकमात्र ऐसे निर्माता हैं जिनकी फिल्मों ने व्यावसायिकता के दायरे में रहते हुए भी दर्शकों के मानपटल पर अपनी एक विशेष छाप छोड़ी है। उनकी फ़िल्में, उनकी प्रतिभा की अभिव्यक्ति के साथ-साथ उनके पूरे कार्य दल की सामूहिक रचनात्मकता का प्रमाण पत्र हैं। कैमरामैन वी. के. मूर्ति, संगीतकार एस. डी. बर्मन एवं लेखक अब्रार आल्वी, यो कुछ ऐसे नाम हैं जो ‘गुरु दत्त फ़िल्म्स’ के अभिन्न अंग थे।

‘गुरु दत्त के साथ एक दशक, अब्रार आल्वी की यात्रा’ में लेखिका सत्या सरन ने निर्देशक गुरु दत्त और उनके सहायक अब्रार आल्वी के रिश्ते पर प्रकाश डाला है। प्रकाश जो किसी भी जलद पटल में छुपे रवि के दर्शन के लिए आवश्यक है। अब्रार आल्वी जैसे सूर्य को दुनिया ने अब तक कम ही देखा परखा है।

1954 में ‘आर पार’ के संवाद लिखते हुए अब्रार ने एक क्रान्तिकारी पहल की। हिन्दी फिल्मों के संवाद, जो तब तक नाटकीयता और कृत्रिमता की जंजीरों से जकड़े हुए थे, उन्हें पहली बार बोल चाल की भाषा में दर्शकों तक पहुँचाया गया। इसके बाद आयीं ‘मिस्टर एणेड मिसिज़ 55’, ‘प्यासा’ और ‘कागज़ के फूल’। अब्रार द्वारा लिखी गयी इन तीनों फ़िल्मों की स्क्रिप्ट किसी शओध से कम नहीं थीं। और अन्त में बतौर निर्देशक, ‘साहिब बीवी और गुलाम’ की आशातीत सफलता।

पुस्तक में उल्लास के साथ, उस व्यथा-वेदना का भी मार्मिक चित्रण है जो इन दो मित्रों ने भारतीय फ़िल्म इतिहास की महान फ़िल्मों का निर्माण करते हुए अनुभव की थी!


प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book