विविध >> यौन मनोविज्ञान यौन मनोविज्ञानहैवलॉक एलिस
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इस ग्रंथ की गणना बीसवीं शताब्दी के क्लॉसिक ग्रंथों मे की जाती है जिन्होंने मनुष्य के जीवन और धारणाओं को गहराई से प्रभावित किया।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
इस ग्रंथ की गणना बीसवीं शताब्दी के क्लॉसिक ग्रंथों मे की जाती है - जिन्होंने मनुष्य के जीवन और धारणाओं को गहराई से प्रभावित किया।
मनोविज्ञान में यौन भावनाओं के प्रभाव का विचार यद्यपि पहले-पहल फ्रायड ने दिया था परंतु इस विषय पर व्यापक अध्ययन और लेखन हैवलाक एलिस ने किया। अनेक खण्डों में प्रकाशित उनके अध्ययन दुनिया भर में फैले और पढ़े गये और उन सबका सार-संक्षेप उन्होंने ‘दि साइकॉलॉजी ऑफ सैक्स’ नामक ग्रंथ में किया जिसका अनुवाद दुनिया भर की बहुत-सी भाषाओं में प्रकाशित हुए।
हिन्दी में इस ग्रंथ का अनुवाद प्रसिद्ध लेखक और संपादक तथा स्वयं यौन शिक्षा के समर्थक, मन्मथनाथ गुप्त ने बड़ी लगन और योग्यता से सम्पन्न किया है। यह मूल ग्रंथ के ही समान धाराप्रवाह और स्पष्ट है और पाठकों ने इसे बहुत पसंद किया है।
मनोविज्ञान में यौन भावनाओं के प्रभाव का विचार यद्यपि पहले-पहल फ्रायड ने दिया था परंतु इस विषय पर व्यापक अध्ययन और लेखन हैवलाक एलिस ने किया। अनेक खण्डों में प्रकाशित उनके अध्ययन दुनिया भर में फैले और पढ़े गये और उन सबका सार-संक्षेप उन्होंने ‘दि साइकॉलॉजी ऑफ सैक्स’ नामक ग्रंथ में किया जिसका अनुवाद दुनिया भर की बहुत-सी भाषाओं में प्रकाशित हुए।
हिन्दी में इस ग्रंथ का अनुवाद प्रसिद्ध लेखक और संपादक तथा स्वयं यौन शिक्षा के समर्थक, मन्मथनाथ गुप्त ने बड़ी लगन और योग्यता से सम्पन्न किया है। यह मूल ग्रंथ के ही समान धाराप्रवाह और स्पष्ट है और पाठकों ने इसे बहुत पसंद किया है।
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