उपन्यास >> जलाक जलाकसुदर्शन प्रियदर्शिनी
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भारत और पश्चिमी संस्कृतियों के अन्तर्द्वन्द्व के विस्फोट को उजागर करता प्रवासी भारतीय लेखिका सुदर्शन प्रियदर्शिनी का एक श्रेष्ठ उपन्यास...
‘जलाक’ अर्थात् जलाने वाली हवा। प्रवासी भारतीय लेखिका सुदर्शन प्रियदर्शिनी का यह उपन्यास भारत और पश्चिमी संस्कृतियों के अन्तर्द्वन्द्व का विस्फोट है। जो भारतीय परिवेश की एक लड़की के पश्चिमी संस्कृति के बीच रहने वाले द्वन्द्व और उसकी परिणति का ताना-बाना है। शिल्प और कथ्य की दृष्टि से यह उपन्यास बोल्ड, किन्तु प्रवाहपूर्ण किस्सागोई से लवरेज, पाठकों को एक दृष्टि भी देता है। भारत में जन्मी और पली-बढ़ी एक लड़की जीवन पर पश्चिमी समाज के प्रभाव यह कहें दुष्प्रभाव किस तरह उसे जीवन के उस अकल्पनीय मुहाने पर ले जाते हैं कि लड़की ताउम्र बिखरती और संवरती रहती है।
सुदर्शन प्रियदर्शिनी
जन्म स्थान: लाहौर (अविभाजित भारत)।
शिक्षा : एम.ए. एवं हिन्दी में पी-एच.डी. (1982), (पंजाब विश्वविद्यालय)। लिखने का जुनून बचपन से ही।
प्रकाशित कृतियाँ : सूरज नहीं उगेगा, अरी ओ कनिका और रेत की दीवार (उपन्यास), काँच के टुकड़े (कहानी संग्रह), शिखण्डी युग और वरहा (कविता संग्रह)। भारत और अमेरिका के कई संकलनों में रचनाएं संकलित। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन।
पुरस्कार : हिन्दी परिषद टोरंटो का महादेवी पुरस्कार तथा ओहायो गवर्नर मीडिया पुरस्कार।
सम्प्रति : क्लीवलैंड, ओहायो, अमेरिका में निवास और साहित्य सृजनरत।
शिक्षा : एम.ए. एवं हिन्दी में पी-एच.डी. (1982), (पंजाब विश्वविद्यालय)। लिखने का जुनून बचपन से ही।
प्रकाशित कृतियाँ : सूरज नहीं उगेगा, अरी ओ कनिका और रेत की दीवार (उपन्यास), काँच के टुकड़े (कहानी संग्रह), शिखण्डी युग और वरहा (कविता संग्रह)। भारत और अमेरिका के कई संकलनों में रचनाएं संकलित। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन।
पुरस्कार : हिन्दी परिषद टोरंटो का महादेवी पुरस्कार तथा ओहायो गवर्नर मीडिया पुरस्कार।
सम्प्रति : क्लीवलैंड, ओहायो, अमेरिका में निवास और साहित्य सृजनरत।
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