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भगत सिंह को फांसी : भाग-1

मालवेन्द्र जीत सिंह वारैच

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :251
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8137
आईएसबीएन :9788126718757

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भगत सिंह को फांसी... Dastavej

यह कैसे हुआ कि मामूली हथियारों से लैस कुछ नौजवानों को ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने का दोषी पाया गया, जिसके चलते उन्हें उम्र कैद और फाँसी की सजा हुई। ‘युद्ध’, जो उन्होंने लड़ा हालाँकि ‘‘यह युद्ध उपनिवेशवादियों व पूँजीपतियों के विरुद्ध लड़ा गया।’’ और जो ‘‘...न ही यह हमारे साथ शुरू हुआ और न ही यह हमारे जीवन के साथ खत्म होगा।’’ और, मात्र 30 महीने की उल्लेखनीय अवधि में 8-9 सितम्बर 1928 को ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन’ की स्थापना के साथ शुरू होकर, यह सम्पन्न हो गया।

विश्वास से भरपूर भगत सिंह के शब्द थे कि ‘‘मैं अपने देश के करोड़ों लोगों की ‘इंकलाब जिंदाबाद’ की हुंकार सुन पा रहा हूँ। काल-कोठरी की मोटी दीवालों के पीछे बैठे हुए भी...मुझे यकीन है कि यह नारा हमारे स्वतंत्राता संघर्ष को प्रेरणा देता रहेगा।’’ इस पुस्तक में प्रस्तुत है इसका प्रथम द्रष्टया विवरण।

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