उपन्यास >> बेवतन बेवतनअशरफ़ शाद
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अपनी जमीनों से उखड़े, पराए मुल्कों में भटकते बेवतनों पर आधारित उपन्यास, बेवतन...
अशरफ शाद पेशे से पत्रकार हैं और दिल से शायर। इस उपन्यास में उन्होंने अपनी इन दो खूबियों का भरपूर इस्तेमाल किया है। अपनी जमीनों से उखड़े, पराए मुल्कों में भटकते बेवतनों के आर्थिक-सामाजिक हालात का जायजा अगर उनका पत्रकार, बिल्कुल एक शोधार्थी की तरह लेता है, तो उन लोगों के भीतर घुमड़ते दुःख को जबान उनका शायर देता है। तथ्यात्मक विवरणों की निर्वैयक्तिकता और इन विवरणों में गुँथे पात्रों के साथ लेखक की गहन संलग्नता के चलते ही वह तनाव जन्म लेता है जो दर्जनों कथाओं-उपकथाओं में फैली इस गाथा को अद्भुत ढंग से पठनीय बनाता है।
निस्सन्देह इसमें अशरफ शाद के ‘कहानीपन’ की भी भूमिका है जिसके लिए आधुनिक उर्दू कथा-साहित्य में उन्हें एक ख़ास जगह हासिल है। अपने तमाम सरोकारों, चिन्ताओं और विस्तृत कथा-फलक के बावजूद ‘बेवतन’ का कहानीपन कहीं किसी झोल का शिकार नहीं होता।
‘बेवतन’ की चिन्ता के दायरे में वे लोग हैं जो बेहतर जिन्दगी की तलाश में अपने घरों और मुल्कों को छोड़कर परदेसी हो जाते हैं और पूरी जिन्दगी अपनी ‘सम्पूर्ण’ पहचान के लिए अपने आपसे और हालात से जद्दोजहद करते रहते हैं।
निस्सन्देह इसमें अशरफ शाद के ‘कहानीपन’ की भी भूमिका है जिसके लिए आधुनिक उर्दू कथा-साहित्य में उन्हें एक ख़ास जगह हासिल है। अपने तमाम सरोकारों, चिन्ताओं और विस्तृत कथा-फलक के बावजूद ‘बेवतन’ का कहानीपन कहीं किसी झोल का शिकार नहीं होता।
‘बेवतन’ की चिन्ता के दायरे में वे लोग हैं जो बेहतर जिन्दगी की तलाश में अपने घरों और मुल्कों को छोड़कर परदेसी हो जाते हैं और पूरी जिन्दगी अपनी ‘सम्पूर्ण’ पहचान के लिए अपने आपसे और हालात से जद्दोजहद करते रहते हैं।
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