कविता संग्रह >> बसंत खोजती चिड़ियां बसंत खोजती चिड़ियांअनूप कुमार
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भारतीय गाँवों की दारुण स्थितियों का कच्चा चिट्ठा खोलती ये कविताएँ पाठकों की संवेदना को जाग्रत करती हैं...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
युवा कवि अनूप कुमार का यह दूसरा काव्य-संग्रह है, जिसमें उन्होंने जन से
जुड़े मुद्दों को काव्य-विषय बनाया है।
देश की आज़ादी के बाद गाँवों के विकास का सपना सपना ही रह गया। शहरों में बाजार तो सज गए लेकिन मांडवेदिगर जैसे गाँवों में आज भी ‘एक माठ पानी के लिए औरतें जाती हैं कोस भर’। कवि अनूप कुमार ने अपनी संवेदनशील रचनात्मकता के सहारे उपेक्षित, वंचित लोगों की विषम जीवन-स्थितियों को कविता का विषय बनाकर अपनी जनपक्षधरता का परिचय दिया है।
अनूप कुमार की कविताओं में प्रकृति और पक्षी-चेष्टाओं के अनेक अछूते बिम्ब बिखरे पड़े हैं। कवि ने उन्हें मानवीय संवेदनाओं की लय में चित्रित किया है। बसंत खोजती चिड़िया का एकदम नया बिम्ब कवि ने यहाँ रचा है।
भारतीय गाँवों की दारुण स्थितियों का कच्चा चिट्ठा खोलती ये कविताएँ पाठकों की संवेदना को जाग्रत करती हैं और जीवन की अनेक विषमताओं और विसंगतियों से परिचय कराती हैं।
देश की आज़ादी के बाद गाँवों के विकास का सपना सपना ही रह गया। शहरों में बाजार तो सज गए लेकिन मांडवेदिगर जैसे गाँवों में आज भी ‘एक माठ पानी के लिए औरतें जाती हैं कोस भर’। कवि अनूप कुमार ने अपनी संवेदनशील रचनात्मकता के सहारे उपेक्षित, वंचित लोगों की विषम जीवन-स्थितियों को कविता का विषय बनाकर अपनी जनपक्षधरता का परिचय दिया है।
अनूप कुमार की कविताओं में प्रकृति और पक्षी-चेष्टाओं के अनेक अछूते बिम्ब बिखरे पड़े हैं। कवि ने उन्हें मानवीय संवेदनाओं की लय में चित्रित किया है। बसंत खोजती चिड़िया का एकदम नया बिम्ब कवि ने यहाँ रचा है।
भारतीय गाँवों की दारुण स्थितियों का कच्चा चिट्ठा खोलती ये कविताएँ पाठकों की संवेदना को जाग्रत करती हैं और जीवन की अनेक विषमताओं और विसंगतियों से परिचय कराती हैं।
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