कहानी संग्रह >> एक कोई और एक कोई औरअमरीक सिंह दीप
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एक कोई और
अमरीक सिंह दीप की अधिकांश कहानियों के पात्र वंचित वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो जीवन की तमाम विडंबनाओं और विसंगतियों के साथ जीने को अभिशप्त नजर आते हैं। उनके कथा संग्रह ‘एक कोई और’ की कहानियों में भी ऐसी ही त्रासद स्थितियों को कथारूप में अभिव्यक्त किया गया है, फिर वो चाहे ‘मिनी’ कहानी का चपरासी फिरंगी हो या ‘विलाप’ का गांव से शहर आया बेबस मजबूर गरीब आदमी। लगभग इसी तरह की एक अन्य यंत्रणादायक स्थिति का चित्रण कहानी ‘एक गिद्ध वेदना’ के पात्र बाबू को अपने शरीर में मौजूद कैंसर उतना पीडा नहीं पहुंचाता, जितना मृत्यु के बाद उसके परिवार के बेसहारा और छतविहीन हो जाने की चिंता। ‘तीसरा रंग’ कहानी में सांप्रदायिकता के अंधड़ में मानवीय संवेदनशीलता को चिंदी-चिंदी होते देखा जा सकता है। वर्ष 1984 के हिंदू-सिख दंगे की वीभत्सता को स्वयं अपनी आंखों में देखने वाले लेखक की यह कहानी पाठक को झकझोर डालती है। इसी तरह ‘मकान भी इंसान होते हैं’ स्वार्थ और सम्पत्ति लोलुपता में अंधे हो चुके इंसानी रिश्ते की कहानी है।
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