यात्रा वृत्तांत >> आपबीती-जगबीती आपबीती-जगबीतीसंदीप भूतोरिया
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विभिन्न समाजों और जीवन शैलियों का करीब से अवलोकन करना भी संदीप भूलते नहीं हैं। इस अवलोकन का ही परिणाम है प्रस्तुत पुस्तक
वास्तव में यात्रा करना और दृष्टि के साथ यात्रा करना, दो भिन्न बातें
हैं। हम सभी यात्रा करते हैं, लेकिन कितने ऐसे होते हैं जो हमें सृजनात्मक
अभिव्यक्ति का रूप देते हैं या सोद्देश्यपूर्ण बना पाते हैं। जब
यात्रावृत्तान्त या सफरनामा सृजनात्मकता का स्पर्श करता है तब यह यात्रा
साहित्य के जगत में प्रवेश करने लगता है। संक्षेप में, यात्रावृत्तान्त
परिचित या अपरिचित समाज व क्षेत्र को स्व–अवलोकन के माध्यम से
जानने-समझने की एक सृजनात्मक प्रक्रिया है और जिज्ञासा इसकी कुतुबनुमा
होती है।
युवा जिज्ञासु संदीप भूतोड़िया ने अपनी पहली यात्रा-कथा ‘आपबीती-जगबीती’ में एक सजग व संवेदनशील यात्रा लेखक का परिचय देकर मुझे निःसन्देह चौंकाया है। करीब सात-आठ वर्ष पहले कोलकाता में स्व. डॉ. प्रभा खेतान के निवास संदीप से संक्षिप्त भेंट हुई थी। उस समय इतना ही बतलाया गया था कि संदीप की रुचि व्यापार में कम है और सामाजिक कार्यों में इनकी सक्रियता रहती है। विभिन्न अन्तरालों से हुई मुलाकतों से यह भी पता चला कि संदीप संयुक्त राष्ट्र से सम्बन्धित संस्थाओं से भी सम्बद्ध हैं और अपने कार्य के सिलसिले में देश-विदेश की यात्राएँ अक्सर करते रहते हैं। विभिन्न समाजों और जीवन शैलियों का करीब से अवलोकन करना भी संदीप भूलते नहीं हैं। इस अवलोकन का ही परिणाम है प्रस्तुत पुस्तक।
युवा जिज्ञासु संदीप भूतोड़िया ने अपनी पहली यात्रा-कथा ‘आपबीती-जगबीती’ में एक सजग व संवेदनशील यात्रा लेखक का परिचय देकर मुझे निःसन्देह चौंकाया है। करीब सात-आठ वर्ष पहले कोलकाता में स्व. डॉ. प्रभा खेतान के निवास संदीप से संक्षिप्त भेंट हुई थी। उस समय इतना ही बतलाया गया था कि संदीप की रुचि व्यापार में कम है और सामाजिक कार्यों में इनकी सक्रियता रहती है। विभिन्न अन्तरालों से हुई मुलाकतों से यह भी पता चला कि संदीप संयुक्त राष्ट्र से सम्बन्धित संस्थाओं से भी सम्बद्ध हैं और अपने कार्य के सिलसिले में देश-विदेश की यात्राएँ अक्सर करते रहते हैं। विभिन्न समाजों और जीवन शैलियों का करीब से अवलोकन करना भी संदीप भूलते नहीं हैं। इस अवलोकन का ही परिणाम है प्रस्तुत पुस्तक।
–रामशरण जोशी
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