कहानी संग्रह >> बड़कू चाचा बड़कू चाचासुनीता जैन
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सुनीता जैन की कहानियाँ जिसमें एक अलग तरह का नागर समाज मिलता है।
सुनीता जैन की कहानियों में एक अलग तरह का नागर समाज मिलता है। यहाँ पिछले कुछ दशकों में, नागर परिवेश में, आए बदलाव की बारीक स्थितियों को बख़ूबी देखा जा सकता है। इस बदलाव का जो भूगोल यहाँ उभरता है उसका फैलाव धूप-धूल, हवा-पानी, सतह-आसमान ही नहीं दृश्य-अदृश्य बिंबों से होते हुए आदमी के मन के कोने-अंतरे तक जाता है। ख़ासकर महानगर के पढ़े-लिखे समाज, उसके दैनंदिन जीवन और उसमें भी स्त्री समाज का जीवन और उस जीवन के बहुत से सहज व चिर-परिचित प्रसंग ही नहीं, अनछुए-अनजाने प्रसंग भी यहाँ अभिनव ढंग से कहानियों का अपजीव्य बन पाया है।
‘बड़कू चाचा’, ‘अपराजिता’ ‘पाँच दिन’ हो या ‘क्रेजी किया रे’ - इनकी प्रायः कहानियाँ जीवन के कुछ नितांत उदास क्षणों, संवेदित करने वाले अंतरंग पलों, खुशियों और दुखों के रंग को पाठकों तक संप्रेषित करने में सफल रही है।
लेखक परिचय :1941 में अम्बाला (हरियाणा) में जनमी सुनीता जैन ने स्टेट यूनीवर्सिटी ऑफ न्यूयार्क, स्टोनीब्रुक से एम. ए. तथा यूनीवर्सिटा ऑफ नेब्रास्का, लिंकन (अमेरिका) से पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। वे आई.आई.टी. दिल्ली में मानविकी तथा सामाजिक विज्ञान विभाग की अध्यक्ष तथा अंग्रेजी की प्रोफेसर रही हैं।
अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषाओं में लिखनेवाली सुनीता जी कहानी और कविता, दोनों में अपना विशिष्ट स्थान रखती हैं। उनकी सत्तर से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हैं। बाल साहित्य में भी उन्होंने काफ़ी काम किया है। अमेरिका और भारत में उन्हें अपने लेखन के लिए कई महत्त्वपूर्ण पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। साहित्य में उनके विशेष योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री के अलंकरण से सम्मानित किया है।
‘बड़कू चाचा’, ‘अपराजिता’ ‘पाँच दिन’ हो या ‘क्रेजी किया रे’ - इनकी प्रायः कहानियाँ जीवन के कुछ नितांत उदास क्षणों, संवेदित करने वाले अंतरंग पलों, खुशियों और दुखों के रंग को पाठकों तक संप्रेषित करने में सफल रही है।
लेखक परिचय :1941 में अम्बाला (हरियाणा) में जनमी सुनीता जैन ने स्टेट यूनीवर्सिटी ऑफ न्यूयार्क, स्टोनीब्रुक से एम. ए. तथा यूनीवर्सिटा ऑफ नेब्रास्का, लिंकन (अमेरिका) से पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। वे आई.आई.टी. दिल्ली में मानविकी तथा सामाजिक विज्ञान विभाग की अध्यक्ष तथा अंग्रेजी की प्रोफेसर रही हैं।
अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषाओं में लिखनेवाली सुनीता जी कहानी और कविता, दोनों में अपना विशिष्ट स्थान रखती हैं। उनकी सत्तर से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हैं। बाल साहित्य में भी उन्होंने काफ़ी काम किया है। अमेरिका और भारत में उन्हें अपने लेखन के लिए कई महत्त्वपूर्ण पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। साहित्य में उनके विशेष योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री के अलंकरण से सम्मानित किया है।
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