सिनेमा एवं मनोरंजन >> कहानी शाहरुख खान की कहानी शाहरुख खान कीमुश्ताक शेख
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शाहरुख के फिल्मी और निजी जीवन की छोटी-से-छोटी बात से हमारा परिचय कराती पुस्तक...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
शाहरुख खान हिंदी सिनेजगत के सुपरस्टार हैं। वे भारत ही नहीं, विश्व भर के फिल्म-प्रेमियों के दिलों पर राज करते हैं। उनकी अभिनय शैली, डायलॉग डिलीवरी, भाव-भंगिमाएँ - सब बड़ी विशिष्ट और स्टाइलिश हैं। उनमें जबरदस्त आत्मविश्वास है, जो उनकी एक्टिंग में साफ झलकता है। एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्में देने वाले शाहरुख खान का व्यक्तित्व बहुआयामी है। वे एक्टर, प्रोड्यूसर होने के साथ-साथ क्रिकेट के IPL टूर्नामेंट की एक महत्त्वपूर्ण टीम कोलकाता नाइट राइटर्स के सर्वेसर्वा हैं।
ऐसे जादुई व्यक्तित्व के बारे में हर कोई ज्यादा-से-ज्यादा जानना चाहता है। प्रसिद्ध पत्रकार श्री मुश्ताक शेख की शाहरुख शान से गहरी दोस्ती है; और इसी दोस्ती का परिणाम है यह पुस्तक, जो शाहरुख के फिल्मी और निजी जीवन की छोटी-से-छोटी बात से हमारा परिचय कराती है। एक तरह से यह पुस्तक शाहरुख का जिंदगीनामा है।
हर फिल्म-प्रेमी के लिए एक जरूरी पठनीय कृति।
यह पुस्तक खास इस मायने में है कि इसमें बहुत सी ऐसी सामग्री (शब्द और तसवीरों) को जुटाया गया है, जिसे हमने पहले नहीं देखा है। कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन्हें यहाँ तक कि गूगल सर्च की गणना-प्रक्रिया भी नहीं ढूँढ़ सकती। मगर मुश्ताक शेख ऐसा कर सकते हैं। मुश्ताक शेख शाहरुख खान को लगभग उतनी ही अवधि से जानते हैं, जितनी अवधि से दुनिया उन्हें जानती है। लेकिन बाकी दुनिया से हटकर मुश्ताक ने शाहरुख की फिल्मों ‘मैं हूँ ना’ (2004) और ‘ओम शांति ओम’ (2007) में अतिथि भूमिकाएँ की हैं, ‘ओम शांति ओम’ और ‘बिल्लू बारबर’ की पटकथाएँ लिखी हैं। खान के अंदरूनी दायरे में एक अतिथि की बजाय वे एक पारिवारिक सदस्य की तरह हैं। अगर शाहरुख की फिल्में आपकी लाइब्रेरी को सजाती हैं और उनकी सी.डी. आपकी संगीत लाइब्रेरी को गुंजित करती हैं (आपके आईपॉड प्लेलिस्ट की बात छोड़िए), तब आपकी बुक शेल्फ ‘शाहरुख कैन’ नामक इस पुस्तक के बगैर अधूरी है। जैसा वे कड़े व्यापार में कहते हैं, यह पुस्तक छोड़ने लायक नहीं है। इसे खरीद लो और अपने खजाने का हिस्सा बना लो।
ऐसे जादुई व्यक्तित्व के बारे में हर कोई ज्यादा-से-ज्यादा जानना चाहता है। प्रसिद्ध पत्रकार श्री मुश्ताक शेख की शाहरुख शान से गहरी दोस्ती है; और इसी दोस्ती का परिणाम है यह पुस्तक, जो शाहरुख के फिल्मी और निजी जीवन की छोटी-से-छोटी बात से हमारा परिचय कराती है। एक तरह से यह पुस्तक शाहरुख का जिंदगीनामा है।
हर फिल्म-प्रेमी के लिए एक जरूरी पठनीय कृति।
यह पुस्तक खास इस मायने में है कि इसमें बहुत सी ऐसी सामग्री (शब्द और तसवीरों) को जुटाया गया है, जिसे हमने पहले नहीं देखा है। कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन्हें यहाँ तक कि गूगल सर्च की गणना-प्रक्रिया भी नहीं ढूँढ़ सकती। मगर मुश्ताक शेख ऐसा कर सकते हैं। मुश्ताक शेख शाहरुख खान को लगभग उतनी ही अवधि से जानते हैं, जितनी अवधि से दुनिया उन्हें जानती है। लेकिन बाकी दुनिया से हटकर मुश्ताक ने शाहरुख की फिल्मों ‘मैं हूँ ना’ (2004) और ‘ओम शांति ओम’ (2007) में अतिथि भूमिकाएँ की हैं, ‘ओम शांति ओम’ और ‘बिल्लू बारबर’ की पटकथाएँ लिखी हैं। खान के अंदरूनी दायरे में एक अतिथि की बजाय वे एक पारिवारिक सदस्य की तरह हैं। अगर शाहरुख की फिल्में आपकी लाइब्रेरी को सजाती हैं और उनकी सी.डी. आपकी संगीत लाइब्रेरी को गुंजित करती हैं (आपके आईपॉड प्लेलिस्ट की बात छोड़िए), तब आपकी बुक शेल्फ ‘शाहरुख कैन’ नामक इस पुस्तक के बगैर अधूरी है। जैसा वे कड़े व्यापार में कहते हैं, यह पुस्तक छोड़ने लायक नहीं है। इसे खरीद लो और अपने खजाने का हिस्सा बना लो।
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