लोगों की राय

उपन्यास >> आखिरी कलाम

आखिरी कलाम

दूधनाथ सिंह

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :435
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8011
आईएसबीएन :9788126712939

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

393 पाठक हैं

आखिरी कलाम

Aakhiri Kalaam (Doodhnath Singh)

यह कथा-कृति उपन्यास की सारी सीमाओं और लालचों को उलट-पुलट देती है। चरित्रों के टकराव से कथा का विकास, यह जो उपन्यास-लेखन की आदत बन चुकी है, यहाँ इस आदत से लगभग इन्कार है। फिर भी यह कथा-कृति एक उपन्यास ही है। इसमें गद्य और वृत्तान्त का एक अजब संयोजन है, जहाँ से ढाँचागत वर्जनाएँ समाप्त होती हैं और कथा का विस्तार और खुलापन बातों और विचारों को आमंत्रित करते-से लगते हैं। गद्य और गल्प का एक नया रसायन तैयार होता है जो अपने रस और सुर से अद्भुत पठनीयता पैदा करता है। इस तरह यह उपन्यास गल्प की एक नई, अबाध निरन्तरता का प्रमाण है।

इस उपन्यास में मिथकीय संस्कृति के विश्लेषण की एक पवित्र और निहत्थी छटपटाहट है। मिथक को इतिहास में बदलने की कोशिशों का पर्दाफाश है; विचार, संरचना और संस्कृति पर एकल बहसों का निर्वेद है। इसी के भीतर कहानी के तार बिखरे पड़े हैं। इन्हीं तकलीफों के भीतर से इतिहास के उन सूत्रों को ढूँढ़ने का प्रयत्न है, जो एक मिले-जुले समाज की बुनियाद हैं और जिनको उलट-पुलट देने की बर्बर आहटें इधर चौतरफा सुनाई दे रही हैं। इसी तरह यह उपन्यास अपने समय के संसार की एक चित्र-रचना बनाता है। अपने अतीत, इतिहास, मिथक और साहित्य-संस्कृति को उकेरता-उधेड़ता हुआ उसकी एक विस्फोटक और स्तब्धकारी पुनर्रचना सामने रखता है। उन बातों, अर्थों और व्याख्याओं को सामने लाता है, जो उसी में छुपी थीं लेकिन लोग और समाज, संस्कृति और विचार के धनुर्धर उसकी ओर से अक्सर आँखें मूँदे रहते हैं।

अन्ततः यह उपन्यास हमारे अतीत और वर्तमान की एक नई ‘पोलेमिक्स’ है। इंसाफ की इच्छा का एक दुखद-द्वन्द्वात्मक संवाद है, जो अपने लोगों और अपनी जनता को ही संबोधित है।


प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book