उपन्यास >> सनसेट क्लब सनसेट क्लबखुशवंत सिंह
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तीन उम्रदराज दोस्त की दास्तान जो रोज़ कुछ देर गपशप करके अपनी जीवन-संध्या में रंग भरने की कोशिश करते हैं।...
Sunset Club (Khushwant Singh)
खुशवंत सिंह की हर पुस्तक चर्चा का विषय बनती है और ‘सनसेट क्लब’ भी बहुत चर्चित है। इसका कारण है कि इसे खुशवंत सिंह ने 95 वर्ष की उम्र में लिखा है और उनका ऐसा कहना है कि यह उनका आखिरी उपन्यास होगा।
खुशवंत सिंह एक बहु-प्रतिभाशाली लेखक हैं जिन्होंने अलग-अलग विधाओं और विषयों पर भरपूर लिखा है। जहां एक ओर उन्होंने शराब और शबाब में डूबे ‘औरतें’ और ‘समुद्र की लहरों’ में जैसे बैस्टसैलर उपन्यास लिखे हैं तो दूसरी ओर भारत के विभाजन की पीड़ा को दर्शाते हुए ‘ए ट्रेन टू पाकिस्तान’ जैसा दिल को छू लेने वाला उपन्यास भी लिखा है। सिख धर्म के प्रति उनकी बहुत श्रद्धा और आस्था है और उन्होंने सिख कौम पर एक बृहत् प्रामाणिक इतिहास लिखा है। उन्हें उर्दू शायरी से बहुत लगाव है और उन्होंने कई जाने-माने शायरों की शायरी का अंग्रेजी में अनुवाद किया है। इसके अतिरिक्त खुशवंत सिंह ने भारत की संस्कृति, इतिहास और अनेक सामायिक विषयों पर भी लिखा है और व्यंग्य के मामले में तो वे अपने चुटकुलों के कारण मशहूर हैं।
पचानवे वर्ष की उम्र में खुशवंत सिंह की यह उपन्यास लिखने की कोई मंशा नहीं थी। लेकिन उनके अन्दर का लेखक कुछ लिखने को कुलबुला रहा था, और जब उनकी एक मित्र ने उन्हें अपने दिवंगत दोस्तों की यादों को शब्दों में गूंथने की सलाह दी तो उन्हें यह बात जम गई, और पुरानी यादों में कल्पनाओं के रंग भरकर बना ‘सनसेट क्लब’। तीन उम्रदराज दोस्त हर शाम दिल्ली के लोदी गार्डन सैर के लिए आते हैं। बाग में लगी एक बेंच उनका अड्डा है जहां वे रोज़ कुछ देर गपशप करके अपनी जीवन-संध्या में रंग भरने की कोशिश करते हैं।
खुशवंत सिंह एक प्रख्यात पत्रकार, स्तंभकार और उपन्यासकार हैं। पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित उनका कहानी कहने का अंदाज पाठकों में खासा लोकप्रिय है।
खुशवंत सिंह एक बहु-प्रतिभाशाली लेखक हैं जिन्होंने अलग-अलग विधाओं और विषयों पर भरपूर लिखा है। जहां एक ओर उन्होंने शराब और शबाब में डूबे ‘औरतें’ और ‘समुद्र की लहरों’ में जैसे बैस्टसैलर उपन्यास लिखे हैं तो दूसरी ओर भारत के विभाजन की पीड़ा को दर्शाते हुए ‘ए ट्रेन टू पाकिस्तान’ जैसा दिल को छू लेने वाला उपन्यास भी लिखा है। सिख धर्म के प्रति उनकी बहुत श्रद्धा और आस्था है और उन्होंने सिख कौम पर एक बृहत् प्रामाणिक इतिहास लिखा है। उन्हें उर्दू शायरी से बहुत लगाव है और उन्होंने कई जाने-माने शायरों की शायरी का अंग्रेजी में अनुवाद किया है। इसके अतिरिक्त खुशवंत सिंह ने भारत की संस्कृति, इतिहास और अनेक सामायिक विषयों पर भी लिखा है और व्यंग्य के मामले में तो वे अपने चुटकुलों के कारण मशहूर हैं।
पचानवे वर्ष की उम्र में खुशवंत सिंह की यह उपन्यास लिखने की कोई मंशा नहीं थी। लेकिन उनके अन्दर का लेखक कुछ लिखने को कुलबुला रहा था, और जब उनकी एक मित्र ने उन्हें अपने दिवंगत दोस्तों की यादों को शब्दों में गूंथने की सलाह दी तो उन्हें यह बात जम गई, और पुरानी यादों में कल्पनाओं के रंग भरकर बना ‘सनसेट क्लब’। तीन उम्रदराज दोस्त हर शाम दिल्ली के लोदी गार्डन सैर के लिए आते हैं। बाग में लगी एक बेंच उनका अड्डा है जहां वे रोज़ कुछ देर गपशप करके अपनी जीवन-संध्या में रंग भरने की कोशिश करते हैं।
खुशवंत सिंह एक प्रख्यात पत्रकार, स्तंभकार और उपन्यासकार हैं। पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित उनका कहानी कहने का अंदाज पाठकों में खासा लोकप्रिय है।
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