लोगों की राय

उपन्यास >> नंदित नरक में

नंदित नरक में

हुँमायु अहमद

प्रकाशक : अंतिका प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :145
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8004
आईएसबीएन :9789380044545

Like this Hindi book 8 पाठकों को प्रिय

258 पाठक हैं

टूटते-बिखरते समाज की छवियों को उकेरता बाँग्लादेश के प्रसिद्ध लेखक हुमायूँ अहमद का सामाजिक उपन्यास

Nandit Narak Mein - A Hindi Book by Humayun Ahmed

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

बाँग्लादेश के प्रसिद्ध लेखक हुमायूँ अहमद का यह उपन्यास ग्लोबल दौर में एक ऐसी लोकल कथा कहती है जिसमें टूटते-बिखरते समाज की छवियाँ हैं। रबैया नामक एक विक्षिप्त लड़की की कहानी के माध्यम से लेखक ने अभावों में जीते एक समाज की जातीय कथा का ताना-बाना बुना है। अभावों में जीता वह समाज जिसके पास यूटोपियाई सपने हैं, छोटी छोटी आकांक्षाएँ हैं, लेकिन जिसकी परिणति दुःस्वप्न के अँधेरे में होती है। एक अभिशप्त परिवार की यह कहानी हेमिंग्वे की उस कथा-प्रविधि की याद दिलाती है जिसमें यथार्थवाद के रोशन उजाले नहीं जीवन के धुंधलके हैं। आत्मकथानक शैली में लिखे गए इस उपन्यास की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह किसी विराट् सत्य के उद्घाटन करने का ताना-बाना नहीं बुनता, न ही इसमें किसी विचारधारा का घटाटोप है। छोटे-छोटे प्रसंगों और बिंबों के माध्यम से एक ऐसी कथा का उपक्रम है जिसमें न कोई नायक है, न ही खलनायक बल्कि परिस्थितियाँ अपने आप में महत्त्वपूर्ण हैं।

इस उपन्यास में लेखक ने आधुनिकतावादी तर्कप्रधान कथा के विपरीत एक ऐसी कथा कही है जिसमें संयोगों की प्रधान भूमिका कही जा सकती है। एकदम पारम्परिक किस्मों की तरह। क़रीब 40 साल पहले लिखे गए इस उपन्यास की कहानी भारतीय उपमहाद्वीप के उस समाज की कथा लगने लगती है जिसे बाज़ारवाद के इस दौर में बिसरा दिया गया है। इसीलिए वह आज के संदर्भो में भी प्रासंगिक है। लघु कलेवर के बावजूद यह एक बड़ा उपन्यास है। हिन्दी अनुवाद में पढ़ते हुए ऐसा लगने लगता है जैसे यह हमारे अपने जाने-पहचाने समाज की ही कथा हो, जो बड़ी रोचक शैली में कही गयी है।

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book