उपन्यास >> नंदित नरक में नंदित नरक मेंहुँमायु अहमद
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टूटते-बिखरते समाज की छवियों को उकेरता बाँग्लादेश के प्रसिद्ध लेखक हुमायूँ अहमद का सामाजिक उपन्यास
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
बाँग्लादेश के प्रसिद्ध लेखक हुमायूँ अहमद का यह उपन्यास ग्लोबल दौर में एक ऐसी लोकल कथा कहती है जिसमें टूटते-बिखरते समाज की छवियाँ हैं। रबैया नामक एक विक्षिप्त लड़की की कहानी के माध्यम से लेखक ने अभावों में जीते एक समाज की जातीय कथा का ताना-बाना बुना है। अभावों में जीता वह समाज जिसके पास यूटोपियाई सपने हैं, छोटी छोटी आकांक्षाएँ हैं, लेकिन जिसकी परिणति दुःस्वप्न के अँधेरे में होती है। एक अभिशप्त परिवार की यह कहानी हेमिंग्वे की उस कथा-प्रविधि की याद दिलाती है जिसमें यथार्थवाद के रोशन उजाले नहीं जीवन के धुंधलके हैं। आत्मकथानक शैली में लिखे गए इस उपन्यास की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह किसी विराट् सत्य के उद्घाटन करने का ताना-बाना नहीं बुनता, न ही इसमें किसी विचारधारा का घटाटोप है। छोटे-छोटे प्रसंगों और बिंबों के माध्यम से एक ऐसी कथा का उपक्रम है जिसमें न कोई नायक है, न ही खलनायक बल्कि परिस्थितियाँ अपने आप में महत्त्वपूर्ण हैं।
इस उपन्यास में लेखक ने आधुनिकतावादी तर्कप्रधान कथा के विपरीत एक ऐसी कथा कही है जिसमें संयोगों की प्रधान भूमिका कही जा सकती है। एकदम पारम्परिक किस्मों की तरह। क़रीब 40 साल पहले लिखे गए इस उपन्यास की कहानी भारतीय उपमहाद्वीप के उस समाज की कथा लगने लगती है जिसे बाज़ारवाद के इस दौर में बिसरा दिया गया है। इसीलिए वह आज के संदर्भो में भी प्रासंगिक है। लघु कलेवर के बावजूद यह एक बड़ा उपन्यास है। हिन्दी अनुवाद में पढ़ते हुए ऐसा लगने लगता है जैसे यह हमारे अपने जाने-पहचाने समाज की ही कथा हो, जो बड़ी रोचक शैली में कही गयी है।
इस उपन्यास में लेखक ने आधुनिकतावादी तर्कप्रधान कथा के विपरीत एक ऐसी कथा कही है जिसमें संयोगों की प्रधान भूमिका कही जा सकती है। एकदम पारम्परिक किस्मों की तरह। क़रीब 40 साल पहले लिखे गए इस उपन्यास की कहानी भारतीय उपमहाद्वीप के उस समाज की कथा लगने लगती है जिसे बाज़ारवाद के इस दौर में बिसरा दिया गया है। इसीलिए वह आज के संदर्भो में भी प्रासंगिक है। लघु कलेवर के बावजूद यह एक बड़ा उपन्यास है। हिन्दी अनुवाद में पढ़ते हुए ऐसा लगने लगता है जैसे यह हमारे अपने जाने-पहचाने समाज की ही कथा हो, जो बड़ी रोचक शैली में कही गयी है।
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