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कविता संग्रह >> पुष्प परिजात के

पुष्प परिजात के

गोपालदास नीरज

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7998
आईएसबीएन :9780143100317

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इस नए काव्य में नीरज की कविता के चार रंगों - गीत, ग़ज़ल, दोहे व मुक्तक - की रंगोली सजी है।

Pushp Parijat Ke by Gopal Das Neeraj

घटाएं उमड़-घुमड़कर उठती हैं, तो पानी बनकर बरस जाती हैं, उसी तरह जब भावों का अतिरेक होता है, जज़्बात छलकने लगते हैं, तो कविता में ढल जाते हैं। सदियों से हर संस्कृति, हर भाषा, हर दिल को शब्द दिए हैं कविता ने। हर दिल की बात कहने वाले ऐसे ही हरदिल-अज़ीज़ कवि हैं - गोपालदास नीरज। नीरज के गीत गजलों में भावों की गहराई तो है ही, साथ ही उनमें लयात्मकता भी है, जो लोगों की ज़ुबान पर चढ़कर बोलती है।

इस नए काव्य में नीरज की कविता के चार रंगों - गीत, ग़ज़ल, दोहे व मुक्तक - की रंगोली सजी है।

लेखक परिचय :गोपालदास ‘नीरज’ का जन्म 4 जनवरी, 1925 को हुआ। आपने आगरा विश्वविद्यालय से एम. ए. (हिंदी) एवं डी. लिट. (मानद) की उपाधि प्राप्त की। आपको भारत सरकार की ओर से पद्मश्री, 1969 में सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड तथा देश की विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा गीत सम्राट, गीत गंधर्व, टैगोर वाचस्पति एवं कवि-किरीट आदि उपाधियों से सम्मानित किया गया।

आपकी कविताओं तथा लेखों का अनुवाद अनेक भाषाओं में हो चुका है। आपके कालजयी फ़िल्मी गीत हैं - ‘कारवां गुजर गया ग़ुबार देखते रहे’, ‘शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब’ आदि। संप्रति आप उत्तर प्रदेश सरकार के अन्तर्गत भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष हैं तथा आपको कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है। इसके साथ ही आप मंगलायतन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं और आप स्वतंत्र लेखन भी करते हैं।


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