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मोहन राकेश की यादगारी कहानियां

मोहन राकेश

प्रकाशक : हिन्द पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :205
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7777
आईएसबीएन :978-81-216-1399

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प्रस्तुत कहानियों की भाषा में गजब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। अधिकांश कहानियों की कथाभूमि शहरी मध्यवर्ग से संबद्ध है...

Mohan Rakesh ki Yadgari Kahaniyan - A Hindi Book - by Mohan Rakesh

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

मोहन राकेश को नाटकों का अग्रदूत कहा जाता है, लेकिन नई कहानी के उद्भव और विकास में भी इन्हें अग्रणी स्थान प्राप्त है। मोहन राकेश की कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। प्रस्तुत कहानियों की भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। अधिकांश कहानियों की कथाभूमि शहरी मध्यवर्ग से संबद्ध है। इन कहानियों को स्व. मोहन राकेश की धर्मपत्नी अनीता राकेश के निर्देशन में संपादित किया गया है। इस संग्रह की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन्हें मूल पाठ के साथ दिया गया है।

मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर में हुआ। इन्हें जीवन में कड़ा संघर्ष करना पड़ा, लेकिन निरंतर साहित्य साधना करते रहे। इनकी कई कहानियों व नाटकों पर फिल्मों का निर्माण भी हुआ। 3 जनवरी 1972 को दिल्ली में इनका देहावासन हुआ ! इनके नाटकों का मंचन आजकल भी होता रहता है।

संग्रह की कहानियाँ


  • नये बादल
  • एक और ज़िन्दगी
  • वासना की छाया में
  • खंडहर
  • आदमी और दीवार
  • एक ठहरा हुआ चाकू
  • फौलाद का आकाश
  • मरुस्थल
  • गुमशुदा
  • कटी हुई पतंगें
  • सतयुग के लोग
  • जानवर और जानवर
  • परमात्मा का कुत्ता
  • मन्दी
  • आर्द्रा
  • उलझते धागे
  • जीनियस
  • ज़ख्म

  • प्रथम पृष्ठ

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