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सौरी की कहानियाँ

नवीन कुमार नैथानी

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :148
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 7753
आईएसबीएन :978-81-263-1697

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नवीन कुमार नैथानी का पहला कहानी-संग्रह...

Sauri ki Kahaniyan - by Navin Kumar Naithani

सौरी की कहानियाँ नवीन कुमार नैथानी का पहला कहानी-संग्रह है। लोक आख्यानों-उपाख्यानों एवं किंवदन्तियों को समकालीन कहानी में दर्ज करने वाले रचनाकारों की संख्या कम है। नवीन कुमार नैथानी लम्बे अरसे से पहाड़ी अंचल की लोक-कथाओं को समकालीन कहानी का कलेवर प्रदान करने वाले ऐसे ही विरल रचनाकार हैं। यह कहना भी कि यह लोककथाएँ सचमुच किसी अंचल विशेष– सौरी की हैं या कहानीकार की कपोलकल्पित रचनाएँ मात्र; उतनी ही अस्पष्ट हैं जितनी कि ऐसी रचनाओं का भूगोल-इतिहास। ‘पारस’ कहानी का नैरेटर इस पर कुछ-कुछ प्रकाश डालता है–‘भूगोल सौरी का एक मात्र सत्य था और तथ्य उसी के इर्द-गिर्द खड़े होकर सौरी को आकार देते रहे, सौरी के बाशिन्दे अपने होने फ़कत को सौरी की ज़मीन से जोड़ते रहे। उस ज़मीन में सिर्फ़ क़िस्से पैदा होते थे और कहानियाँ उस फ़सल का महज़ एक उत्पाद थीं। सौरी के बाशिन्दे क़िस्सों में अपना इतिहास समेटते रहे और इतिहास को क़िस्सों की क्षणभंगुरता में नष्ट करते रहे।’ आस-पास फैले व्यापक लोक–समाज और समय की लेखकीय समझ सौरी और वहाँ के बाशिन्दों का देशकाल निर्मित करती है और ‘सौरी’ हमारा वर्तमान समाज और समय बनकर पहचान की आश्वस्ति प्राप्त कर लेता है।

‘सौरी के बाशिन्दों के लिए जिनकी सौरी कहीं नहीं है’ लेखक का यह समर्पण वाक्य पाठकों के सम्पूर्ण कुतूहल को परिचित और अपरिचित के बीच उपस्थित कथा-कौशल की अपूर्व सृजनात्मक क्षमता के साथ आमन्त्रित करता प्रतीत होता है। इस तरह समकालीन कहानी के दायरे को लोक सम्पदा से समृद्ध और विकसित करने की व्यापक रचनात्मक चेष्टा नवीन कुमार नैथानी को अपने समवर्ती रचनाकारों से अलग पहचान दिलाती है।

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