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श्रंगार-विलास >> वयस्क किस्से वयस्क किस्सेमस्तराम मस्त
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मस्तराम के मस्त कर देने वाले किस्से
कार आगे बढ़ाते हुए माधवी को अपने कामांग में एक छोटा सा फव्वारा सा छूटता
अनुभव हो रहा था। वह आज इस देश में पहली बार कार अकेले चला रही थी, इसलिए वह
पूर्णतः सावधान रहना चाहती थी। उसका मन हो रहा था कि अपने सलवार के अंदर हाथ
डालकर निश्चित कर ले, कुछ गड़बड़ तो नहीं हो गया था!
वह तीन दिन पहले ही अमेरिका आई थी। उसका विवाह विमल से अभी पिछले दिसम्बर में
ही हुआ था, लेकिन वीजा के इंटरव्यू की डेट न मिलने के कारण विवाह के पश्चात्
तुरंत वीजा नहीं मिल पाया। अब लगभग 4 महीने बाद वीजा मिलने पर वह यहाँ आ पाई
थी। विवाह के पश्चात् सुहागरात को पहली बार उसे इस शारीरिक सुख के बारे में
पहला साक्षात् अनुभव हुआ था। कालेज में उसकी कुछ सहेलियाँ ऐसी थीं, जिन्हें
इसका स्वाद तभी मिल गया था। वे ऐसी-ऐसी कहानियाँ सुनाती थीं कि उसका मन भी
बार-बार मचल जाता, लेकिन कुछ हो नहीं पाया। एक-एक करके सबकी शादियाँ होती गईं,
लेकिन उसका नम्बर आता ही नहीं था, तब समझ में आया कि मंगली होने का क्या मतलब
होता है। बीए के बाद एमए, बीएड हो गया, यहाँ तक कि पीएचडी भी शुरू हो गई, तब
जाकर कहीं उसका नंबर लगा।
अब तक माधवी समझ गई थी कि वह दुनिया के उन चंद लोगों में से एक है, जिनका कोई
भी काम आसानी से नहीं होता। नहीं तो शादी होने के बाद कितने ही लोगों के साथ
ऐसा होता होगा कि सुहागरात और उसके बाद दो-तीन रातों तक सहवास करने के बाद किसी
का पति चार महीने के लिए दूर चला जाये। इससे तो कुछ भी न करता तो शायद ज्यादा
अच्छा रहता। उसके तन और मन में आग तो लगा दी, लेकिन फिर वियोग झेलने के लिए
नियति ने उसे बाध्य कर दिया था। इतने दिनों तक जिन्दगी में जिस सुख के बारे में
बार-बार सुना था उसके कुछ ही प्याले मिले और फिर एक लम्बी जुदाईऽऽऽ। घर का
रास्ता मुश्किल तो नहीं था, पर परदेश का मामला था, यहाँ सबकुछ बिलकुल ही अलग
तरीके से चलता था। इतवार की रात विमल उसे बहुत हल्के ट्रैफिक में कार घर से
चलवा कर स्टेशन तक लाया था और फिर वहाँ से वह वापस भी घर तक उसी की देखरेख में
चलाकर आई थी।
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