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श्रंगार-विलास >> वयस्क किस्से

वयस्क किस्से

मस्तराम मस्त

प्रकाशक : श्रंगार पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 1990
पृष्ठ :132
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 774
आईएसबीएन :

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मस्तराम के मस्त कर देने वाले किस्से

उसने चाय का पानी पैन में डालकर गैस चला दी। तभी बाथरूम से शावर की आवाज के बीच उसे विमल के पुकारने की आवाज आई। वह तुरंत बाथरूम की ओर लपकी तो पाया कि विमल हाथ बाहर निकाल कर तौलिया माँग रहा था। उसने अपनी लापरवाही पर हल्का गुस्सा आया। थोड़ी देर पहले ही उसने गीला तौलिया सोफे पर छोड़ दिया था। वह सोफे की ओर चली तो मन ने कहा, गीली तौलिया अच्छी नहीं लगेगी, इसलिए मुड़कर वापस क्लाजेट की ओर गई और वहाँ से सूखा तौलिया निकाल कर उसे विमल के हाथ में पकड़ा दिया। वह घूमकर किचन की तरफ चली ही थी कि उसका बायाँ हाथ अचानक खिंचकर बाथरूम की ओर बढ़ा, वह पलटकर अपने को संभालने लगी। लेकिन संभाल न सकी, और विमल ने उसे दरवाजा खोल अंदर खींच लिया।

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