सिनेमा एवं मनोरंजन >> कपूरनामा कपूरनामामधु जैन
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कपूर ख़ानदान का फ़िल्मी सफ़र...
पहले कभी कपूर ख़ानदान की पांच पुश्तों को एक साथ किसी पुस्तक में नहीं
लाया गया है। ‘कपूरनामा’ कपूर ख़ानदान की हर पुश्त के नायकों के फ़िल्मी
सफ़र और उनकी निजी ज़िंदगी को सामने लाती है–चाहे वो टिकट खिड़की पर
कपूरों की शह हो या मात, उनके कामों को लेकर उनका नज़रिया, उनके शानदार
शादी-ब्याह और होली का जश्न, उनके रूमानी रिश्ते और पारिवारिक नाते हों या
खाने के साथ उनका दिलचस्प जुड़ाव और शराबख़ोरी की त्रासद लत।
कपूर परिवार के सदस्यों और दोस्तों से लिए गए लंबे अनौपचारिक इंटरव्यू के ज़रिए मधु जैन सात सालों में कपूर ख़ानदान के हर शख़्स के उस अंदरूनी ज़ज्बे तक पहुंच पाईं, जिसने उन लोगों को एक जानी-मानी शख़्सियत बनाया। ‘कपूरनामा’ में काफ़ी हद तक महान शोमैन राज कपूर की बनाई फ़िल्मों सी ख़ूबियां मौजूद हैं। उनकी फ़िल्मों की तरह ही यह पुस्तक भी बेहद नाटकीय, मर्मस्पर्शी और भावुकता में रची-बसी है।
‘बेहद उम्दा ढंग से लिखा हुआ और बेहतरीन शोध ...राज कपूर पर लिखा गया अध्याय तो मनमोहक है।’
कपूर परिवार के सदस्यों और दोस्तों से लिए गए लंबे अनौपचारिक इंटरव्यू के ज़रिए मधु जैन सात सालों में कपूर ख़ानदान के हर शख़्स के उस अंदरूनी ज़ज्बे तक पहुंच पाईं, जिसने उन लोगों को एक जानी-मानी शख़्सियत बनाया। ‘कपूरनामा’ में काफ़ी हद तक महान शोमैन राज कपूर की बनाई फ़िल्मों सी ख़ूबियां मौजूद हैं। उनकी फ़िल्मों की तरह ही यह पुस्तक भी बेहद नाटकीय, मर्मस्पर्शी और भावुकता में रची-बसी है।
‘बेहद उम्दा ढंग से लिखा हुआ और बेहतरीन शोध ...राज कपूर पर लिखा गया अध्याय तो मनमोहक है।’
–हिंदुस्तान टाइम्स
‘‘भारतीय सिनेमा पर ऐसी समझदारी, साफ़गोई और
वाक्पटुता के साथ बस कुछ ही किताबें लिखी गई हैं।’
–आउटलुक
The Kapoors, Madhu jain
आवरण डिज़ाइन: पूजा आहूजा
अनुवाद: शिवानी खरे
आवरण डिज़ाइन: पूजा आहूजा
अनुवाद: शिवानी खरे
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