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गुलाब बाई

दीप्ति प्रिया महरोत्रा

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :282
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7704
आईएसबीएन :9780143103318

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क़रीब एक शताब्दी तक नौटंकी उत्तर भारत में मनोरंजन की सबसे लोकप्रिय विधा रही और मनोरंजन की इस दुनिया का सबसे चमकदार सितारा रहीं–गुलाब बाई।

Gulab Bai - A Hindi Book - by Priya Mehrotra

बेड़िया जाति की बारह साल की एक मासूम लड़की गुलाब ने 1931 में नौटंकी की दुनिया में अपना पहला क़दम रखा। इसके बाद सफलता की नित नई ऊंचाइयों को छूते हुए नौटंकी की इस पहली अदाकारा और अनेक नाटकों की हीरोइन ने ‘ग्रेट गुलाब थिएटर कंपनी’ की शुरुआत की। गुलाब बाईके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया, इसके बावजूद उनका आख़री समय दुख और निराशा में बीता, क्योंकि जिस विधा के प्रति उनका पूरा जीवन समर्पित रहा, वह उनके सामने ही अंतिम सांसें ले रही थी।

गुलाब बाई की विस्मृत हो रही ज़िंदगी को सामने लाने और एक शैली के सामाजिक इतिहास की पुनर्रचना करने के लिए दीप्ति प्रिया महरोत्रा गुलाब बाई के गांव और कानपुर के रेल बाज़ार गईं, उनके परिवार के सदस्यों और साथी कलाकारों से मिलकर जानकारियां एकत्र की तथा नौटंकी के स्क्रिप्ट और गानों की रिकॉर्डिंग को खोजा। इस गहन खोजबीन से जो कहानी सामने आई, वह है–समाप्तप्राय होती कला और सबके दिलों पर राज करने वाली मलिका गुलाब बाई की।

‘यह पुस्तक न सिर्फ़ नौटंकी और गुलाब बाई के योगदान के मुरीदों को, अपितु उन सभी पाठकों को अवश्य पढ़नी चाहिए जो कानपुर की इस साहसी अदाकारा के जीवन को क़रीब से जानना चाहते हैं...’

–मृणाल पांडे, द बुक रिव्यू

‘नौटंकी में महिलाएं लीक से हटकर जीवन जीती थीं, जिसे लेखक ने ना छुपाया, न झुठलाया; बल्कि बेबाकी से प्रस्तुत किया है। और ऐसा करते हुए वे मुझ जैसी महिला कलाकारों को उन सामाजिक संदर्भों को जानने-पहचानने और समझने का मौक़ा देती हैं, जिनमें महिलाएं अपनी कला प्रदर्शित करती थीं।’

–शुभा मुद्गल, मिंट

Gulab Bai, Dccpti Priya Mehrotra
आवरण डिज़ाइन: पूजा आहूजा

यह आवरण ग्रामोफ़ोन कंपनी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड, जो कि ईएमआई ग्रुप का हिस्सा है, के गुलाब बाई के रिकॉर्ड जैकेट से लिया गया है।

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