उपन्यास >> अफ़ीम सागर अफ़ीम सागरअमिताभ घोष
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जाने माने लेखक अमिताभ घोष के दिलचस्प उपन्यास ‘सी ऑफ़ पॉपीज़’ का हिन्दी अनुवाद
‘‘सी ऑफ़ पॉपीज़ बेहद दिलचस्प किताब है...
‘घोष’ ने इतना रोचक उपन्यास लिखा है जो हमें अंत तक बाँधे
रखता है।’’
‘‘एक दिन दीती को सपने में समुद्र में तैरता बड़े से मस्तूल वाला जहाज़ दिखाई पड़ा। वो तुरंत जान गई कि वह नियति की ओर से कोई संकेत है, क्योंकि उसने ऐसा कोई जहाज़ कभी देखा ही नहीं था, सपने में भी नहीं...’’
अमिताभ घोष की उपन्यास-त्रयी में पहला उपन्यास सी ऑफ़ पॉपीज़ इतनी जीवंत, गहन एवं मानवीय संवेदनाओं से भरपूर है कि यह उनके एक महान कथाकार होने की पुष्टि करता है। इस महागाथा के केंद्र में एक विशाल जहाज़ आइबिस है। जिसकी नियति हिंद महासागर से मॉरीशस द्वीप की उथल-पुथल भरी यात्रा है। इसके यात्री हैं नाविक, भगोड़े, मज़दूर और क़ैदी। उन्नीसवीं सदी के मध्य के औपनिवेशिक काल में भारतीय और पश्चिमी मूल के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को नियति एक साथ ला खड़ा करती है, जिनमें एक कंगाल राजा से लेकर गांव की विधवा है तो गुलामी से मुक्त हुए मुलाटों अमेरिकी से लेकर एक स्वच्छंद यूरोपीय अनाथ लड़की भी है। हुगली से निकलकर जब वो समुद्र पर पहुंचते हैं तो पुराने पारिवारिक बंधन बह जाते हैं और वो एक-दूसरे को जहाज़-भाई की तरह देखने लगते हैं जिन्हें एक सुदूर द्वीप में नई ज़िंदगी की शुरुआत करनी है। यह शुरुआत है एक बिल्कुल अनोखे वंश की।
इस ऐतिहासिक रोमांचक उपन्यास का विस्तार अफ़ीम युद्धकाल में गंगा किनारे के अफ़ीम के खेतों से लेकर ठाठें मारते समुद्र और चीन की शानदार सड़कों तक फैला हुआ है। मगर सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत है पात्रों का व्यापक फलक, जिनका फैलाव पूर्व के औपनिवेशिक इतिहास को अपने में समेटे हुए है और जो सी ऑफ़ पॉपीज़ को बेहद जीवंत बना देते हैं–दुनिया के एक सर्वश्रेष्ठ उपन्यासकार का शाहकार।
‘‘मैं किसी अन्य समकालीन लेखक के बारे में नहीं सोच पा रहा हूँ, जिसके साथ इतनी दूर तक, इतनी तेज़ी से जाना इतना रोमांचक हो सकता है।’’
‘‘सी ऑफ़ पॉपीज़ बहुत ही शानदार उपन्यास है... बेशक ये ‘आइबिस’ त्रयी इक्कीसवीं सदी की बेहतरीन रचनाओं में शुमार की जाएगी।’’
Sea of Poppies, Amitav Ghosh
आवरण चित्र व डिजाइन: बेना सरीन
अनुवाद: नवेद अकबर
–खुशवंत सिंह,
हिंदुस्तान टाइम्स
‘‘एक दिन दीती को सपने में समुद्र में तैरता बड़े से मस्तूल वाला जहाज़ दिखाई पड़ा। वो तुरंत जान गई कि वह नियति की ओर से कोई संकेत है, क्योंकि उसने ऐसा कोई जहाज़ कभी देखा ही नहीं था, सपने में भी नहीं...’’
अमिताभ घोष की उपन्यास-त्रयी में पहला उपन्यास सी ऑफ़ पॉपीज़ इतनी जीवंत, गहन एवं मानवीय संवेदनाओं से भरपूर है कि यह उनके एक महान कथाकार होने की पुष्टि करता है। इस महागाथा के केंद्र में एक विशाल जहाज़ आइबिस है। जिसकी नियति हिंद महासागर से मॉरीशस द्वीप की उथल-पुथल भरी यात्रा है। इसके यात्री हैं नाविक, भगोड़े, मज़दूर और क़ैदी। उन्नीसवीं सदी के मध्य के औपनिवेशिक काल में भारतीय और पश्चिमी मूल के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को नियति एक साथ ला खड़ा करती है, जिनमें एक कंगाल राजा से लेकर गांव की विधवा है तो गुलामी से मुक्त हुए मुलाटों अमेरिकी से लेकर एक स्वच्छंद यूरोपीय अनाथ लड़की भी है। हुगली से निकलकर जब वो समुद्र पर पहुंचते हैं तो पुराने पारिवारिक बंधन बह जाते हैं और वो एक-दूसरे को जहाज़-भाई की तरह देखने लगते हैं जिन्हें एक सुदूर द्वीप में नई ज़िंदगी की शुरुआत करनी है। यह शुरुआत है एक बिल्कुल अनोखे वंश की।
इस ऐतिहासिक रोमांचक उपन्यास का विस्तार अफ़ीम युद्धकाल में गंगा किनारे के अफ़ीम के खेतों से लेकर ठाठें मारते समुद्र और चीन की शानदार सड़कों तक फैला हुआ है। मगर सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत है पात्रों का व्यापक फलक, जिनका फैलाव पूर्व के औपनिवेशिक इतिहास को अपने में समेटे हुए है और जो सी ऑफ़ पॉपीज़ को बेहद जीवंत बना देते हैं–दुनिया के एक सर्वश्रेष्ठ उपन्यासकार का शाहकार।
‘‘मैं किसी अन्य समकालीन लेखक के बारे में नहीं सोच पा रहा हूँ, जिसके साथ इतनी दूर तक, इतनी तेज़ी से जाना इतना रोमांचक हो सकता है।’’
–द टाइम्स
‘‘सी ऑफ़ पॉपीज़ बहुत ही शानदार उपन्यास है... बेशक ये ‘आइबिस’ त्रयी इक्कीसवीं सदी की बेहतरीन रचनाओं में शुमार की जाएगी।’’
–द लिट्रेरी
रिव्यू
Sea of Poppies, Amitav Ghosh
आवरण चित्र व डिजाइन: बेना सरीन
अनुवाद: नवेद अकबर
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