उपन्यास >> प्रियकांत प्रियकांतप्रताप सहगल
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प्रताप सहगल का नया उपन्यास ‘प्रियकान्त’...
प्रताप सहगल उन लेखकों में से हैं, जिन्होंने अपने लड़कपन से ही दिल्ली नगर को महानगर और महानगर को सर्वदेशीय (Cosmopolitan City) बनते हुए देखा है। इस बदलाव से जुड़े सामाजिक, राजनीतिक एवं धार्मिक पहलुओं के बदलते रंगों को भी महसूस किया है। इन बदलते रंगों के साथ बदलते वैयक्तिक संबंधों और मूल्य-मानों पर उनकी पैनी निगाह रहती है। इसीलिए उनके लेखन में निरा वर्णन नहीं होता, बल्कि उसके साथ समय के कई सवाल जुड़े रहते हैं। कभी यथार्थ के धरातल पर तो कभी दर्शन के स्तर पर।
उनका नया उपन्यास ‘प्रियकान्त’ भी कोई अपवाद नहीं है। पिछले तील-चालीस सालों में धर्म का व्यापारीकरण और बाजारीकरण हुआ है। इसके लिए आमजन को सपने परोसने के लिए धर्म के नए-नए मंच बने और नए-नए धर्मगुरु तथा धर्माचार्य फ़िल्मी सितारों की तरह चमकने लगे।
‘प्रियकांत’ एक ऐसे ही धर्माचार्य के उदय और उसके साथ जुड़ी हुई महत्त्वाकांक्षाओं और विसंगतियों की कथा है प्रियकांत। पात्र पौराणिक हों, ऐतिहासिक हों या समकालिक - प्रताप सहगल की नज़र हमेशा उनके माध्यम से समय के साथ मुठभेड़ पर ही रहती है। और इस उपन्यास में भी, धर्म, धर्मगुरु, ज्ञान एवं अनुभव से जुड़े कुछ सवाल ही रेखांकित होते हैं... शेखर, नीहार और गुलशन के साथ... आप पढ़ेंगे तो आपको भी लगेगा कि इस कथा में आप भी कहीं न कहीं ज़रूर हैं।....
उनका नया उपन्यास ‘प्रियकान्त’ भी कोई अपवाद नहीं है। पिछले तील-चालीस सालों में धर्म का व्यापारीकरण और बाजारीकरण हुआ है। इसके लिए आमजन को सपने परोसने के लिए धर्म के नए-नए मंच बने और नए-नए धर्मगुरु तथा धर्माचार्य फ़िल्मी सितारों की तरह चमकने लगे।
‘प्रियकांत’ एक ऐसे ही धर्माचार्य के उदय और उसके साथ जुड़ी हुई महत्त्वाकांक्षाओं और विसंगतियों की कथा है प्रियकांत। पात्र पौराणिक हों, ऐतिहासिक हों या समकालिक - प्रताप सहगल की नज़र हमेशा उनके माध्यम से समय के साथ मुठभेड़ पर ही रहती है। और इस उपन्यास में भी, धर्म, धर्मगुरु, ज्ञान एवं अनुभव से जुड़े कुछ सवाल ही रेखांकित होते हैं... शेखर, नीहार और गुलशन के साथ... आप पढ़ेंगे तो आपको भी लगेगा कि इस कथा में आप भी कहीं न कहीं ज़रूर हैं।....
प्रताप सहगल
जन्म : 10 मई, 1945, झंग, पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान में)।
प्रकाशित रचनाएँ : कविता संग्रह : ‘सवाल अब भी मौजूद है’, ‘आदिम आग’, ‘अँधेरे में देखना’, ‘इस तरह से’, ‘नचिकेतास ओडिसी’, ‘छवियाँ और छवियाँ’. नाटक : ‘अन्वेषक’, ‘चार रूपांत’, ‘रंग बसंती’, ‘मौत क्यों रात भर नहीं आती’, ‘नौ लघु नाटक’, ‘नहीं कोई अंत’, ‘अपनी-अपनी भूमिका’, ‘पाँच रंग नाटक’ तथा ‘छू मंतर’ (बाल नाटक). उपन्यास : ‘अनहद’, ‘प्रियकांत’. कहानी संग्रह : ‘अब तक’. आलोचना : ‘रंग चितन’, ‘समय के निशान’, ‘समय के सवाल’. विविध : ‘अंशतः’ (चुनिंदा रचनाओं का संग्रह)।
सम्मान एवं पुरस्कार: मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार. ‘रंग बसंती’ पर साहित्य कला परिषद् द्वारा सर्वश्रेष्ठ नाट्यालेख पुरस्कार. ‘अपनी-अपनी भूमिका’ शिक्षा मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा पुरस्कृत. ‘आदिम आग’ हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा पुरस्कृत. ‘अनहद नाद’ हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा पुरस्कृत. सौहार्द सम्मान, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ. राजभाषा सम्मान, भारत सरकार. साहित्यकार सम्मान, हिन्दी अकादमी, दिल्ली और अन्य पुरस्कार।
सम्पर्क : 13 ऐश्वर्य-1, प्लॉट 132, सेक्टर 19 गाँधीनगर - 382021 (गुजरात)
प्रकाशित रचनाएँ : कविता संग्रह : ‘सवाल अब भी मौजूद है’, ‘आदिम आग’, ‘अँधेरे में देखना’, ‘इस तरह से’, ‘नचिकेतास ओडिसी’, ‘छवियाँ और छवियाँ’. नाटक : ‘अन्वेषक’, ‘चार रूपांत’, ‘रंग बसंती’, ‘मौत क्यों रात भर नहीं आती’, ‘नौ लघु नाटक’, ‘नहीं कोई अंत’, ‘अपनी-अपनी भूमिका’, ‘पाँच रंग नाटक’ तथा ‘छू मंतर’ (बाल नाटक). उपन्यास : ‘अनहद’, ‘प्रियकांत’. कहानी संग्रह : ‘अब तक’. आलोचना : ‘रंग चितन’, ‘समय के निशान’, ‘समय के सवाल’. विविध : ‘अंशतः’ (चुनिंदा रचनाओं का संग्रह)।
सम्मान एवं पुरस्कार: मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार. ‘रंग बसंती’ पर साहित्य कला परिषद् द्वारा सर्वश्रेष्ठ नाट्यालेख पुरस्कार. ‘अपनी-अपनी भूमिका’ शिक्षा मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा पुरस्कृत. ‘आदिम आग’ हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा पुरस्कृत. ‘अनहद नाद’ हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा पुरस्कृत. सौहार्द सम्मान, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ. राजभाषा सम्मान, भारत सरकार. साहित्यकार सम्मान, हिन्दी अकादमी, दिल्ली और अन्य पुरस्कार।
सम्पर्क : 13 ऐश्वर्य-1, प्लॉट 132, सेक्टर 19 गाँधीनगर - 382021 (गुजरात)
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