गजलें और शायरी >> फूलों की छतरियां फूलों की छतरियांबशीर बद्र
|
8 पाठकों को प्रिय 20 पाठक हैं |
बशीर बद्र की ग़ज़लें...
अजब मौसम है, मेरे हर कद़म पे फूल रखता है
मुहब्बत में मुहब्बत का फरिश्ता साथ चलता है
मैं जब सो जाऊं, इन आंखों पे अपने होठ रख देना
यक़ीं आ जायेगा, पलकों तले भी दिल धड़कता है
हर आंसू में अकसर कोई तसवीर झिलमिलाती है
तुम्हें आंखें बतायेंगी, दिलों में कौन जलता है
बहुत से काम रुक जाते हैं, मैं बाहर नहीं जाता
तुम्हारी याद का मौसम कहां टाले से टलता है
मुहब्बत ग़म की बारिश हैं, ज़मीं सर-सब्ज होती है
बहुत से फूल खिलते हैं, जहां बादल बरसता है
* * * * *
शाम से रास्ता तकता होगा
चांद खिड़की में अकेला होगा
धूप की शाख़ पे तनहा-तनहा
वह मुहब्बत का परिंदा होगा
नींद में डूबी महकती सांसें
ख़्वाब में फूल-सा चेहरा होगा
* * * * *
मुझको अपनी नज़र ऐ ख़ुदा चाहिए
कुछ नहीं और इसके सिवा चाहिए
एक दिन तुझसे मिलने ज़रूर आऊंगा
ज़िन्दगी मुझको तेरा पता चाहिए
इस ज़माने ने लोगों को समझा दिया
तुमको आँखें नहीं, आईना चाहिए
तुमसे मेरी कोई दुश्मनी तो नहीं
सामने से हटो, रास्ता चाहिए
मुहब्बत में मुहब्बत का फरिश्ता साथ चलता है
मैं जब सो जाऊं, इन आंखों पे अपने होठ रख देना
यक़ीं आ जायेगा, पलकों तले भी दिल धड़कता है
हर आंसू में अकसर कोई तसवीर झिलमिलाती है
तुम्हें आंखें बतायेंगी, दिलों में कौन जलता है
बहुत से काम रुक जाते हैं, मैं बाहर नहीं जाता
तुम्हारी याद का मौसम कहां टाले से टलता है
मुहब्बत ग़म की बारिश हैं, ज़मीं सर-सब्ज होती है
बहुत से फूल खिलते हैं, जहां बादल बरसता है
* * * * *
शाम से रास्ता तकता होगा
चांद खिड़की में अकेला होगा
धूप की शाख़ पे तनहा-तनहा
वह मुहब्बत का परिंदा होगा
नींद में डूबी महकती सांसें
ख़्वाब में फूल-सा चेहरा होगा
* * * * *
मुझको अपनी नज़र ऐ ख़ुदा चाहिए
कुछ नहीं और इसके सिवा चाहिए
एक दिन तुझसे मिलने ज़रूर आऊंगा
ज़िन्दगी मुझको तेरा पता चाहिए
इस ज़माने ने लोगों को समझा दिया
तुमको आँखें नहीं, आईना चाहिए
तुमसे मेरी कोई दुश्मनी तो नहीं
सामने से हटो, रास्ता चाहिए
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book