धर्म एवं दर्शन >> सिख धर्म दर्शन के मूल तत्त्व सिख धर्म दर्शन के मूल तत्त्वसत्येन्द्र पाल सिंह
|
2 पाठकों को प्रिय 331 पाठक हैं |
सिख धर्म दर्शन पर हिंदी में मूल रूप से लिखी गयी पहली पुस्तक है, जो धर्म के मर्म तक ले जाती है...
सदियों से भ्रमित समाज को परमात्मा से मिलन का एक सरल और सहज मार्ग दिखाकर सिख गुरु साहिबान ने धर्म की एक अभिनव दृष्टि प्रदान की। जीवन को विनम्रता, प्रेम, सेवा, समर्पण और संतुष्टि का पर्याय बनाने, परमात्मा के हुक्म के आधीन चलने का संदेश दिया। इससे समाज में अद्भुत चेतना जाग्रत हुई और शोषित, पीड़ित हृदयों में आशा का प्रकाश भर उठा। सिख गुरु साहिबान द्वारा बताया गया मार्ग जितना सरल है उतना ही कठिन भी है।
उस मार्ग की सरलता एवं सहजता क्या है और कैसे साहस और समर्पण की आवश्यकता है, इसका उत्तर खोजने के लिए इस पुस्तक का आद्योपांत पठन अपरिहार्य है।
उस मार्ग की सरलता एवं सहजता क्या है और कैसे साहस और समर्पण की आवश्यकता है, इसका उत्तर खोजने के लिए इस पुस्तक का आद्योपांत पठन अपरिहार्य है।
सत्येन्द्र पाल सिंह
जन्म व आरंभिक शिक्षा सुलतानपुर (उ.प्र.)
उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं लखनऊ विश्वविद्यालय में
प्रखर सामाजिक एवं धार्मिक विचारक और व्याख्याकार
विभिन्न सामाजिक-सामयिक विषयों पर छह सौ से अधिक लेख राष्ट्रीय हिंदी समाचार-पत्रों के संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित
धार्मिक मूल्यों पर नियमित लेखन
जीवन में दर्द को केन्द्र बनाकर लिखी गई लंबी कविताओं का काव्य-संग्रह ‘किस पे खोलूँ’ गठड़ी शीघ्र प्रकाश्य।
उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं लखनऊ विश्वविद्यालय में
प्रखर सामाजिक एवं धार्मिक विचारक और व्याख्याकार
विभिन्न सामाजिक-सामयिक विषयों पर छह सौ से अधिक लेख राष्ट्रीय हिंदी समाचार-पत्रों के संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित
धार्मिक मूल्यों पर नियमित लेखन
जीवन में दर्द को केन्द्र बनाकर लिखी गई लंबी कविताओं का काव्य-संग्रह ‘किस पे खोलूँ’ गठड़ी शीघ्र प्रकाश्य।
|
लोगों की राय
No reviews for this book