कहानी संग्रह >> परख परखमालती जोशी
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मालती जोशी की 14 कहानियों का संग्रह...
तुमने अपने बचपन में मुझे एक सपना दिखाया था कि तुम पढ़-लिखकर बड़े आदमी बनोगे, तुम्हारा एक बड़ा-सा बँगला होगा, बँगले में मेरा भी एक कमरा होगा, कमरे से लगी बालकनी में एक झूला पड़ा होगा, उस झूले पर बैठकर मैं तुम्हारे बच्चों को कहानियाँ सुनाऊँगी, उनके लिए स्वेटर बुनूँगी।
अब तुम बड़े आदमी बन गये हो। तुम्हारे पास बड़ा-सा बँगला भी है, घर में बाल-गोपाल भी हैं, पर मेरा सपना तो अधूरा ही रह गया न ! अभी तुमने मेरे लिए इतने ठिकाने गिनाये, पर एक बार भी न पूछा कि जिया, मेरे घर रह सकोगी? देखो, मुझसे जैसा बना, मैंने तुम्हारा बचपन सँवारा था। अब तुम मेरा बुढ़ापा सुधार रहे हो। हिसाब बराबर हो गया।
कैसी बात कर रही हो जिया! वीरेश आवेश में एकदम उठकर खड़ा हो गया।, कसम ले लो जो आज तक मैंने कभी तुमको आया समझा हो।...
अब तुम बड़े आदमी बन गये हो। तुम्हारे पास बड़ा-सा बँगला भी है, घर में बाल-गोपाल भी हैं, पर मेरा सपना तो अधूरा ही रह गया न ! अभी तुमने मेरे लिए इतने ठिकाने गिनाये, पर एक बार भी न पूछा कि जिया, मेरे घर रह सकोगी? देखो, मुझसे जैसा बना, मैंने तुम्हारा बचपन सँवारा था। अब तुम मेरा बुढ़ापा सुधार रहे हो। हिसाब बराबर हो गया।
कैसी बात कर रही हो जिया! वीरेश आवेश में एकदम उठकर खड़ा हो गया।, कसम ले लो जो आज तक मैंने कभी तुमको आया समझा हो।...
(इसी संग्रह की कहानी अनिकेत से)
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