नारी विमर्श >> नानी अम्मा मान जाओ नानी अम्मा मान जाओकृष्णा अग्निहोत्री
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इस उपन्यास में चार पीढ़ियों की कहानी के माध्यम से बाल विवाह से लेकर आधुनिक दौर की स्थितियों का चित्रण है...
इस उपन्यास में चार पीढ़ियों की कहानी के माध्यम से बाल विवाह से लेकर आधुनिक दौर की स्थितियों का चित्रण है। चूँकि उपन्यास का कालखण्ड बहुत बड़ा है, इसलिए बहुत सारी समस्याएँ टुकड़ों-टुकड़ों में देखने को मिलती हैं। इसमें पारिवारिक बिखराव, राजनीतिक भ्रष्टाचार, सेक्स के प्रति खुलापन, विकृत सेक्स, अति आधुनिकता, नई पीढ़ी के द्वंद्व आदि का चित्रण है।
कृष्णा अग्निहोत्री
कृष्णा अग्निहोत्री जो सदा वाद-विवादों को तहस-नहस कर जीवटता एवं संघर्ष की रचनाओं में अपने तीखे तेवर प्रस्तुत करती जा रही हैं। शासकीय कन्या महाविद्यालय खंडवा से रिटायर्ड
अब तक कई सम्मान तथा पुरस्कार प्राप्त।
अब तक छपी पुस्तकें : कहानी संग्रह - टीन के घेरे, गीताबाई, याहि बनारसी रंग बा, नपुंसक, दूसरी औरत, विरासत, सर्पदंश, जिंदा आदमी, जै सियाराम, अपने-अपने कुरुक्षेत्र, यह क्या जगह है दोस्तों, पंछी पिंजरे के और मेरी प्रतिनिधि कहानियाँ।
उपन्यास - बात एक औरत की, टपरे वाले, कुभारिकाएँ, बौनी परछाइयाँ, अभिषेक, टेसू की टहनियाँ, निष्कृति, नीलोफर, मैं अपराधी हूँ, बित्ता भर की छोकती, नानी अम्मी मान जाओ।
अब तक कई सम्मान तथा पुरस्कार प्राप्त।
अब तक छपी पुस्तकें : कहानी संग्रह - टीन के घेरे, गीताबाई, याहि बनारसी रंग बा, नपुंसक, दूसरी औरत, विरासत, सर्पदंश, जिंदा आदमी, जै सियाराम, अपने-अपने कुरुक्षेत्र, यह क्या जगह है दोस्तों, पंछी पिंजरे के और मेरी प्रतिनिधि कहानियाँ।
उपन्यास - बात एक औरत की, टपरे वाले, कुभारिकाएँ, बौनी परछाइयाँ, अभिषेक, टेसू की टहनियाँ, निष्कृति, नीलोफर, मैं अपराधी हूँ, बित्ता भर की छोकती, नानी अम्मी मान जाओ।
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