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सुनो विद्यार्थियों

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :127
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 7659
आईएसबीएन :81-88-267-86-4

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महात्मा गांधी के प्रेरणादायी एवं मार्गदर्शक कथनों की रोचक प्रस्तुति...

Suno Vidyarthiyon - By Mahatma Gandhi

पढने-लिखने में एक साधारण सा बालक। मैट्रिक पास करके बड़े सपने लिये लंदन में वकालत पढ़ने जाता है कि ढेर सारा पैसा कमाएगा। लेकिन बैरिस्टर बनने के बाद जब वह भारत लौटता है तो उसकी वकालत चल नहीं पाती। उसका झेंपू और दब्बू स्वभाव उसकी उम्मीदों पर पानी फेर देता है। केस लड़ते समय उसे पसीना आ जाता है, पैर काँपने लगते हैं और जज तक उसका मजाक उड़ाते हैं। लेकिन जब वह शख्स दक्षिण अफ्रीका में नस्ल-भेद का शिकार होता है तो उसमें न जाने कहाँ से इतनी हिम्मत आ जाती है कि वह अंग्रेजी शासन से मुकाबले को उद्यत हो जाता है। इस हिम्मत के चलते वह लाखों देशवासियों को वर्षों की यातना से मुक्ति दिलवाता है और वही साधारण व्यक्ति शनैः-शनैः मानव से महात्मा में तबदील हो जाता है।

गाँधी ने इसे ‘सत्य की ताकत’ कहा है। सत्य के आग्रह को कुछ समय के लिए को दबाया जा सकता है, लेकिन वह शाश्वत होता है; अंत में उसे स्वीकार करना ही होगा। सत्याग्रह की इसी ताकत ने गांधीजी को महात्मा बनाया और उन्होंने देश की आजादी के लिए प्रत्येक देशवासी को एक सिपाही में तबदील कर दिया। दुःखी मानवता के उद्धार के लिए गांधीजी जीवन भर लड़ते रहे। प्रस्तुत पुस्तक में महात्मा गांधी के प्रेरणादायी एवं मार्गदर्शक कथनों को प्रस्तुत किया है। आशा है, सुधी पाठक एवं विद्यार्थी इससे लाभान्वित होंगे।


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