परिवर्तन >> दो एकान्त दो एकान्तश्रीनरेश मेहता
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आधुनिक तनाव वाली घटना-हीन वास्तविकता को अत्यन्त सूक्ष्म शैली से प्रस्तुत किया गया है....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
आधुनिकता सामाजिक ढाँचा ही नहीं है बल्कि हमारी व्यक्तिगत मानसिक स्थिति
और स्वत्व बन गयी है। इसका नतीजा यह हुआ है कि प्रेम जैसी निजी अनुभूति पर
भी इसका तनाव अनुभव होता है। इसलिए कभी-कभी जो आजीवन प्रेम के स्थान पर हम
प्रेम के तनाव में ही रहते होते हैं।
इस उपन्यास में वानीरा और विवेक के माध्यम से इस आधुनिक तनाव वाली घटना-हीन वास्तविकता को अत्यन्त सूक्ष्म शैली, चित्रों और मन: स्थितियों के द्वारा श्रीनरेश मेहता ने प्रस्तुत किया है।
इस उपन्यास में वानीरा और विवेक के माध्यम से इस आधुनिक तनाव वाली घटना-हीन वास्तविकता को अत्यन्त सूक्ष्म शैली, चित्रों और मन: स्थितियों के द्वारा श्रीनरेश मेहता ने प्रस्तुत किया है।
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