कविता संग्रह >> चुनलगीत चुनलगीतकृपाशंकर शुक्ल
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भोजपुरी साहित्य को संवर्धित एवं संरक्षित करने के दृष्टिकोण से समकालीन एवं प्राचीन रचनाकारों की प्रतिनिधि कविताएँ...
भोजपुरी बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में दूर-दूर
तक फैली हुई एक सशक्त भाषा है। इसका साहित्य अत्यन्त समृद्ध है। मारिशस,
त्रिनिडाड आदि देशों में भी इसका व्यापक प्रचार-प्रसार है। भोजपुरी गीतों
की ओर विलियम क्रुक और डॉ. ग्रियसन जैसे विद्वानों का ध्यान सबसे पहले
आकृष्ट हुआ था। बाद को पण्डित रामनरेश त्रिपाठी और डॉ. कृष्णदेव उपाध्याय
ने इस परम्परा को आगे बढ़ाया था। लुप्त हो रही इस सांस्कृतिक धरोहर को
सुरक्षित करके भोजपुरी अच्ञल की लोक-चेतना को पुनर्जागृत करने की अपेक्षा
है।
भोजपुरी साहित्य को संवर्धित एवं संरक्षित करने के दृष्टिकोण से ‘चुनलगीत’ में भोजपुरी के समकालीन एवं प्राचीन रचनाकारों की प्रतिनिधि कविताएँ संकलित की गई है।
भोजपुरी साहित्य को संवर्धित एवं संरक्षित करने के दृष्टिकोण से ‘चुनलगीत’ में भोजपुरी के समकालीन एवं प्राचीन रचनाकारों की प्रतिनिधि कविताएँ संकलित की गई है।
अमवाँ की डरिया में परेला हिडोलवा,
झुरके ले तिलरी बयार हो।
भीजन लागे मोरी पंच रंग सरिया,
रिमि झिम परे ला फुहार हो।।
उमड़ि घुमड़ि बरसन लाग बदरी,
भीजे ला अँगिया के तार हो।
झलुआ झूलत रहली, झुलहू न पवली,
आ गइले पिया के कहांर हो।।
तन मन भीजे यौवन धन भौजै,
भीजे ले जिनगीं पहार हो।
भीजन लागे मोरी चन्ननि डोलिया,
भीजन लागे ओहार हो।।
के जान कहवा उतरि मोरि डोलिया,
लउके रइनि अन्हियार हो।
के जाने कहवाँ बसेला निरमोहिया,
के जाने कहाँ ससुरार हो।।
झुरके ले तिलरी बयार हो।
भीजन लागे मोरी पंच रंग सरिया,
रिमि झिम परे ला फुहार हो।।
उमड़ि घुमड़ि बरसन लाग बदरी,
भीजे ला अँगिया के तार हो।
झलुआ झूलत रहली, झुलहू न पवली,
आ गइले पिया के कहांर हो।।
तन मन भीजे यौवन धन भौजै,
भीजे ले जिनगीं पहार हो।
भीजन लागे मोरी चन्ननि डोलिया,
भीजन लागे ओहार हो।।
के जान कहवा उतरि मोरि डोलिया,
लउके रइनि अन्हियार हो।
के जाने कहवाँ बसेला निरमोहिया,
के जाने कहाँ ससुरार हो।।
–पण्डित त्रिलोकीनाथ उपाध्याय
सनन नन सन सन बहेले पुरुवइया
चन्दा ओढ़ावे राति चानी के चदरा
सूरज उड़ावेलें सोने के बदरा
बदरे में चकती लगावे मोरी नइया
सनन नन सन सन...
बरुण जी की कुइयाँ से भरि भरि गगरिया
चलली झमकि के गगन के गुजरिया
अब्बें ओरियानी त अब्बें ओसारी
नाँचे मुड़ेरीं, अगनवाँ, दुअरियाँ
लागल ठोपारी चुवावे पतइया
सनन नन सन सन...
चन्दा ओढ़ावे राति चानी के चदरा
सूरज उड़ावेलें सोने के बदरा
बदरे में चकती लगावे मोरी नइया
सनन नन सन सन...
बरुण जी की कुइयाँ से भरि भरि गगरिया
चलली झमकि के गगन के गुजरिया
अब्बें ओरियानी त अब्बें ओसारी
नाँचे मुड़ेरीं, अगनवाँ, दुअरियाँ
लागल ठोपारी चुवावे पतइया
सनन नन सन सन...
–मोती, बी. ए.
सेनुरा कऽ भाव चढ़ल बा
अब्दुर्रहमान गेहूँवासागरी
सेनुरा कऽ भाव चढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
डोलिया कऽ दाम बढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ ।
सेनुरा बदे, जनि करजा कढ़ावऽ,
सेनुरा बदे, जनि घर बेचवावऽ,
जिनगी का भाव घटल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ ।
सेनुरा कऽ भाव चढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
करजा लियाई, भरा नऽ पाई,
मुर्हवा से जादे सूद चढ़ि जाई,
फिकिरा के माई, मरल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
सेनुरा का भाव चढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
मोल भाव बिन, केहू बोली नाहीं,
केहू कही मोटर, केहू टीवी चाहीं,
दुलहा बिकाऊ भइल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
सेनुरा कऽ भाव चढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
चगड़ कहे–‘हमके कछु ना चाहीं’,
कुछ कम मिली तऽ बिटिया के दाही,
जे ना पढ़ल, ऊ कढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
सेनुरा कऽ भाव चढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
डोलिया बना दऽ, डोलिया चढ़ा दऽ,
हंसि-हंसि बिटिया के घाटे लगा दऽ,
हरियर बांस, हंसल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
सेनुरा कऽ भाव चढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
डोलिया कऽ दाम बढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
डोलिया कऽ दाम बढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ ।
सेनुरा बदे, जनि करजा कढ़ावऽ,
सेनुरा बदे, जनि घर बेचवावऽ,
जिनगी का भाव घटल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ ।
सेनुरा कऽ भाव चढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
करजा लियाई, भरा नऽ पाई,
मुर्हवा से जादे सूद चढ़ि जाई,
फिकिरा के माई, मरल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
सेनुरा का भाव चढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
मोल भाव बिन, केहू बोली नाहीं,
केहू कही मोटर, केहू टीवी चाहीं,
दुलहा बिकाऊ भइल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
सेनुरा कऽ भाव चढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
चगड़ कहे–‘हमके कछु ना चाहीं’,
कुछ कम मिली तऽ बिटिया के दाही,
जे ना पढ़ल, ऊ कढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
सेनुरा कऽ भाव चढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
डोलिया बना दऽ, डोलिया चढ़ा दऽ,
हंसि-हंसि बिटिया के घाटे लगा दऽ,
हरियर बांस, हंसल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
सेनुरा कऽ भाव चढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
डोलिया कऽ दाम बढ़ल बा,
हे बाबा ! माहुर मंगा दऽ।
वाराणसी (उ.प्र.)
बेटी डोलिया में होई जा सवार !
अब्दुर्रहमान गेहुँवासागरी
बेटी ! डोलिया में होई जा सवार !
ई जग बेवहार हवे।
बेटी ! बाबा कऽ घर, दिन चार !
ई जग बेवहार हवे।
सजना के अँखिया, कऽ पुतरी,
अँगुरिया कऽ मुनरी,
नयनवा का कजरा,
हियरवा में जियरा बनऽ।
बेटी ! हँसि-हँसि करऽ सिंगार !
ई जग बेवहार हवे ।
बेटी !... ... ... ...!
भउजी अउर भइया से खेललू,
न अँसुआ बहवलू,
हँसलू-हँसवलू,
मना बहलवलू सदा।
बेटी ! पोंछि डारऽ अँसुआ कऽ धार !
ई जग बेवहार हवे।
बेटी !... ... .... ...!
तूहके ! निशि दिन पोसलीं, जोंगवलीं,
परनवा समुझलीं,
सगुनवा सजवलीं,
मनवती मनवलीं।
बेटी ! पनवा सो मार सुकुमार !
ई जग बेवहार हवे।
बेटी !... ... .... ..... !
बेटी ! बाबा कऽ मान-स्वाभिमान,
भइया कऽ आन,
पुरखन का शान,
माई कऽ धियान हऊ।
बेटी ! अँचला के रखिहऽ सम्हार !
ई जग बेवहार हवे !
बेटी ! बाबा का घर, दिन चार !
ई जग बेवहार हवे।
ई जग बेवहार हवे।
बेटी ! बाबा कऽ घर, दिन चार !
ई जग बेवहार हवे।
सजना के अँखिया, कऽ पुतरी,
अँगुरिया कऽ मुनरी,
नयनवा का कजरा,
हियरवा में जियरा बनऽ।
बेटी ! हँसि-हँसि करऽ सिंगार !
ई जग बेवहार हवे ।
बेटी !... ... ... ...!
भउजी अउर भइया से खेललू,
न अँसुआ बहवलू,
हँसलू-हँसवलू,
मना बहलवलू सदा।
बेटी ! पोंछि डारऽ अँसुआ कऽ धार !
ई जग बेवहार हवे।
बेटी !... ... .... ...!
तूहके ! निशि दिन पोसलीं, जोंगवलीं,
परनवा समुझलीं,
सगुनवा सजवलीं,
मनवती मनवलीं।
बेटी ! पनवा सो मार सुकुमार !
ई जग बेवहार हवे।
बेटी !... ... .... ..... !
बेटी ! बाबा कऽ मान-स्वाभिमान,
भइया कऽ आन,
पुरखन का शान,
माई कऽ धियान हऊ।
बेटी ! अँचला के रखिहऽ सम्हार !
ई जग बेवहार हवे !
बेटी ! बाबा का घर, दिन चार !
ई जग बेवहार हवे।
जाए के आई खबरिया ?
अब्दुर्रहमान गेहुँवासागरी
जाए के, आई कब खबरिया केहू ! जाने ना।
रसे-रसे बीते ले उमिरिया, केहू ! जाने ना।
धनवा के चाहे केहू,
गहनवा के चाहे केहू,
छिनि जाई अँगुरी कऽ मुनरिया, केहू ! जाने ना।
जाए के आई कब खबरिया ? केहू ! जाने ना।
गजरा रचावे केहू,
कजरा रचावे केहू,
टंगि जाई, आँखी कऽ पुतरिया, केहू ! जाने ना।
जाए के आई कब खबरिया ? केहू ! जाने ना।
हाट बाजार घूमैं,
केहू संसार घूमैं,
कहाँ ? कब ? भटके ले डगरिया, केहू ! जाने ना।
जाए के आई कब खबरिया ? केहू जाने ना।
नीत राजनीति बूझै,
केहू आपन प्रीत बूझै,
कब बही, कइसन बयरिया ? केहू ! जाने ना।
जाए के आई कब खबरिया ? केहू जाने ना।
मान, सम्मान जानै,
केहू स्वाभिमान जानै,
माटी के चोला, ई चुनरिया, केहू ! जाने ना।
जाए के आई कब खबरिया ? केहू ! जाने ना।
रसे-रसे बीते ले उमिरिया, केहू ! जाने ना।
धनवा के चाहे केहू,
गहनवा के चाहे केहू,
छिनि जाई अँगुरी कऽ मुनरिया, केहू ! जाने ना।
जाए के आई कब खबरिया ? केहू ! जाने ना।
गजरा रचावे केहू,
कजरा रचावे केहू,
टंगि जाई, आँखी कऽ पुतरिया, केहू ! जाने ना।
जाए के आई कब खबरिया ? केहू ! जाने ना।
हाट बाजार घूमैं,
केहू संसार घूमैं,
कहाँ ? कब ? भटके ले डगरिया, केहू ! जाने ना।
जाए के आई कब खबरिया ? केहू जाने ना।
नीत राजनीति बूझै,
केहू आपन प्रीत बूझै,
कब बही, कइसन बयरिया ? केहू ! जाने ना।
जाए के आई कब खबरिया ? केहू जाने ना।
मान, सम्मान जानै,
केहू स्वाभिमान जानै,
माटी के चोला, ई चुनरिया, केहू ! जाने ना।
जाए के आई कब खबरिया ? केहू ! जाने ना।
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लोगों की राय
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