आधुनिक >> 5 पॉइंट समवन 5 पॉइंट समवनचेतन भगत
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रेयान दौड़कर बोर्ड के पास पहुँचा और पहली पंक्ति के नाइन पॉइंटर मुस्कराए कि एक फाइव पॉइंटर क्लास के लिए योगदान देगा...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
आज की गलाकाट प्रतिस्पर्द्धा के दौर में कैसे
अपनी क्षमता, इच्छाशक्ति और कुछ हासिल करने की शिद्दत से युवा सफल हो सकते
हैं–यह मूल संदेश है 5 पॉइंट समवन का।
लेखन के क्षेत्र में पदार्पण करते ही अपनी सरल-सुबोध भाषा, आकर्षक शिल्प तथा किस्सागोई के कारण लाखों युवाओं को लुभा लेनेवाले बेस्टसेलर लेखक चेतन भगत का उपन्यास है 5 पॉइंट समवन।
लेखन के क्षेत्र में पदार्पण करते ही अपनी सरल-सुबोध भाषा, आकर्षक शिल्प तथा किस्सागोई के कारण लाखों युवाओं को लुभा लेनेवाले बेस्टसेलर लेखक चेतन भगत का उपन्यास है 5 पॉइंट समवन।
1
विकट शुरुआत
इससे पहले कि मैं पुस्तक की शुरुआत करूँ, मैं
आप सभी को यह साफ बताना चाहता हूँ कि यह पुस्तक किस बारे में नहीं है। यह पुस्तक कॉलेज के जीवन के मार्गदर्शन के लिए नहीं है। इसके विपरीत, यह एक उदाहरण है कि कैसे आपके कॉलेज के साल खराब हो सकते हैं। यह आपकी अपनी सोच है कि आप इससे
सहमत हैं या नहीं। मैं ऐसी उम्मीद करता हूँ कि रेयान और आलोक, जो पागल
हैं, शायद यह पढ़ने के बाद वे मुझे मार डालें; लेकिन उसकी मुझे चिंता
नहीं। मेरा मतलब है कि अगर वे चाहते तो वे अपने विचार लिख सकते थे। लेकिन
आलोक तो लिख ही नहीं सकता और रेयान वैसे तो वह जो चाहे कर सकता है, लेकिन वह बहुत ही आलसी है। इसलिए यह कहना चाहता हूँ कि यह मेरी कहानी है। मैं जैसा चाहूँ वैसा बताऊँगा।
मैं एक और बात बताना चाहता हूँ कि यह पुस्तक और क्या नहीं बताती है। यह आपको आई.आई.टी. में प्रवेश लेने में मदद नहीं करती। मैं यह सोचता हूँ कि दुनिया के आधे पेड़ों का इस्तेमाल आई.आई.टी. की परीक्षा में प्रवेश करने के लिए बनी गाइड्स में होता है। उनमें से अधिकतर गाइड्स बकवास हैं, लेकिन इससे अधिक मददगार होंगी।
रेयान, आलोक और मैं शायद इस दुनिया में आखिरी होंगे, जिनसे आप आई.आई.टी. में प्रवेश के लिए कुछ जानकारी लेना चाहें। हम आपको यह सलाह दे सकते हैं कि आप अपने को पुस्तकों के साथ दो वर्ष तक एक कमरे में बंद कर लें और उसकी चाबी फेंक दें। अगर आपके हाई स्कूल के दिन मेरे जितने खराब जा रहे हों तो शायद पुस्तकों के ढेर के साथ रहना कोई बुरा विचार नहीं होगा। मेरे स्कूल के आखिरी दो साल बहुत ही खराब थे, और अगर आप भी मेरी तरह अपने स्कूल की बास्केट बॉल टीम के कप्तान नहीं हैं और आपको गिटार नहीं बजाना आता हो, तो आपके दिन भी उतने ही खराब होंगे। मगर मैं उन चीजों में वापस नहीं जाना चाहता हूँ।
मैं सोचता हूं कि मैंने अपना डिसक्लेमर बता दिया और अब उपन्यास लिखना शुरू करता हूँ।
इसलिए मुझे कहीं-न-कहीं से तो शुरुआत करनी ही है और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में मेरा पहला दिन और रेयान व आलोक से पहली मुलाकात से बेहतर और क्या हो सकता है; हम कुमाऊँ हॉस्टल की दूसरी मंजिल पर साथ-साथ वाले कमरों में रहते थे। प्रथा के अनुसार आधी रात को सीनियर्स ने हमें बालकनी में रैंगिंग के लिए घेर लिया। हम तीनों सावधान खड़े थे और तीन सीनियर हमारे सामने खड़े थे और मैं अपनी आँखों को मल रहा था। अनुराग नामक सीनियर दीवार पर झुककर खड़ा था। दूसरा सीनियर, जो मुझे सस्ते पौराणिक टी.वी. कार्यक्रम के दानव जैसा नजर आ रहा था, जो छह फीट लंबा, जिसका वजन 200 किलोग्राम से ज्यादा और बड़े-बड़े गंदे दाँत ऐसे लग रहे थे कि दस वर्षों से दाँत के डॉक्टर को न दिखाए हों। वैसे तो वह खतरनाक दिख रहा था, पर बोलता कम था और वह अपने बॉस बाकू के लिए भूमिका बनाने में व्यस्त था। बाकू देखने में सूखे काँटे के समान था। उसके शरीर से बदबू आ रही थी।
‘‘अरे, तुम ब्लडी फ्रेशर्स सो रहे हो ? गधो ! परिचय कौन देगा ?’’ बाकू चिल्लाया।
‘‘मेरा नाम हरि कुमार है सर, मेकैनिकल इंजीनियरिंग स्टूडेंट, ऑल इंडिया रैंक 326।’’ पर अगर मैं ईमानदारी से कहूँ तो उस समय मैं बहुत डरा हुआ था।
‘‘मैं आलोक गुप्ता हूँ सर, मेकैनिकल इंजीनियरिंग, रैंक 453।’’ आलोक ने कहा,
जब मैंने उसे पहली बार देखा। उसका कद मेरे जितना ही था पाँच फीट पाँच इंच–वाकई बहुत छोटा और उसने मोटे लेंस का चश्मा एवं सफेद कुरता-पाजामा पहन रखा था।
‘‘रेयान ओबेरॉय, मेकैनिकल इंजीनियरिंग, रैंक 91, सर।’’ रेयान ने भारी आवाज में कहा, जिससे सारी आँखें उसकी तरफ मुड़ गईं। रेयान ओबेरॉय, मैंने अपने मन में दोहराया। ऐसा लड़का जो आई.आई.टी. में कम ही देखने को मिलता है; बहुत ऊँचा कद, सुडौल शरीर और बहुत ही सुंदर। उसने ढीली ग्रे रंग की टी शर्ट पहन रखी थी, जिस पर बड़े नीले अक्षरों में ‘GAP’ लिखा था और चमकीली काले रंग की घुटनों तक की निकर पहन रखी थी। मैंने सोचा कि जरूर उसके रिश्तेदार विदेश में रहते हैं, क्योंकि सोते समय ‘GAP’ के कपड़े कोई नहीं पहनता।
‘‘यू बास्टर्ड !’’ बाकू चिल्लाया, ‘‘अपने कपड़े उतारो!’’
‘‘ऐ बाकू, पहले इनसे थोड़ी बात कर लें।’’ दीवार की तरफ झुककर सिगरेट पीते हुए अनुराग ने रोका।
‘‘नहीं, कोई बात नहीं करेंगे !’’ बाकू ने अपना सूखा हाथ उठाते हुए कहा, ‘‘नहीं, कोई बात नहीं करो, सिर्फ उनके कपड़े उतारो।’’
एक दूसरा दानव थोड़ी-थोड़ी देर में अपने नंगे पेट पर हाथ मारते हुए हम पर हँस रहा था। कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था, इसलिए हम अपने कपड़े उतारकर आत्मसमर्पण कर चुके थे। बाकू भी हँस रहा था और हम सभी सहमे खड़े थे।
जब हम निर्वस्त्र खड़े थे तब हम सबके शरीरों में अंतर साफ नजर आ रहा था; क्योंकि मैं और आलोक अपने गुब्बारे जैसे शरीर को छिपाने के लिए पैर के अँगूठों को जमीन पर दबाकर चित्र बनाने की कोशिश में लगे थे। वहीं रेयान का सुगठित शरीर बिलकुल ऐसा जैसा कि जीव विज्ञान की पुस्तकों में दिखता है। दूसरी तरफ मैं और आलोक बिलकुल बेढंगे।
बाकू ने आलोक को और मुझे आगे बढ़ने के लिए कहा, ताकि सीनियर्स हमे अच्छे से देख सकें और जोर से हँसें।
‘‘देखो, इन छोटे बच्चों को। इनकी माँ ने इन्हें तब तक खिलाया जब तक कि इनके पेट न फट जाएँ।’’ बाकू ने हँसकर कहा।
दानव भी उनके साथ हँसा। धुएँ के गुबार के पीछे दूसरी सिगरेट बुझाते हुए, विरोध प्रभाव दिखाते हुए अनुराग मुसकराया।
‘‘सर, प्लीज सर, हमें जाने दो, सर!’’ अपने नजदीक आते हुए बाकू से आलोक ने खुशामद की।
‘‘क्या ? तुम्हें जाने दूँ ? अभी तो हमने तुम सुंदरियों के साथ कुछ भी नहीं किया। ऐं, तुम दोनों मोटे चलो, अपने चारो हाथ-पैरों पर झुक जाओ’’
मैंने आलोक के चेहरे की तरफ देखा। बुलेटप्रूफ चश्मे के पीछे मुझे उसकी आँखें नहीं दिखाई पड़ रही थीं, लेकिन उसका रुआँसा चेहरा देखकर लग रहा था कि वह भी मेरी तरह रोने ही वाला है।
‘‘चलो, जो वह कहता है, करो।’’ दानव ने धीरे से चेतावनी दी। वह और बाकू एक-दूसरे के पूरक प्रतीत होते थे। बाकू को उसकी ताकत का सहारा चाहिए था, जबकि दानव को उसके निर्देश का सहारा।
आलोक और मैं अपने हाथों व पैरों पर झुक गए। वे हमारे ऊपर और जोरों से हँसे। दानव ने पहली बार अपनी सलाह दी कि इन्हें दौड़ाओ; लेकिन बाकू ने तुरंत मना कर दिया।
‘‘कोई रेस-वेस नहीं, मेरे पास एक इससे भी बढ़िया आइडिया है। जरा रुको, मैं अपने कमरे से होकर आता हूँ। ऐ नंगी गाय, ऊपर मत देखो।’’
फर्श की तरफ देखते हुए हमने तनावपूर्ण 20 सेकंड तक इंतजार किया, जब बाकू बरामदे की तरफ दौड़ रहा था। मैंने तिरछी निगाह से देखा कि आलोक के सिर के पास पानी पड़ा है और आँखों से आंसू टपक रहे हैं। इसी बीच दानव ने रेयान से उसकी मांसपेशियाँ फुलाने और लड़ाकू योद्धा जैसा रूप बनाने के लिए कहा। मुझे पूरी उम्मीद है कि वह फोटो खींचने लायक था, लेकिन मैंने उसको देखने का साहस नहीं किया।
बाकू के आने के कदमों की आहट हमारे कानों में पड़ी।
‘‘देखो, मैं क्या लाया हूँ !’’ उसने अपने हाथ दिखाते हुए कहा।
‘‘बाकू, ये किसलिए ?’’ हम जब अपना सिर ऊपर कर रहे थे तब अनुराग ने पूछा।
बाकू के हाथों में कोक (Coke) की दो खाली बोतलें थीं। दोनों बोतलों को आपस में बजाते हुए बाकू ने कहा, ‘‘सोचो, मैं क्या करने वाला हूँ।’’
सख्त चेहरे और मॉडलिंग पोज में खड़ा रेयान एकदम से बोला, ‘‘सर, आप क्या करने की कोशिश कर रहे हैं?’’
‘‘क्या, ये तो होता ही है और साले, तुम कौन हो पूछनेवाले ?’’ बाकू चिल्लाया।
‘‘सर, रुको।’’ रेयान ने ऊँची आवाज में कहा।
‘अबे साले !’’ अपनी पुरानी दादागिरी के खिलाफ ऐसा विरोध देखकर बाकू की आँखें फटी-की-फटी रह गईं।
जैसे ही बाकू ने बोतल सही स्थिति में पकड़ी, रेयान ने अपना मॉडलिंग पोज छोड़ा और कूदा। अचानक उसने दोनों बोतलों को हाथ से पकड़ा और बाकू के पैरों पर कूद पड़ा। जेम्स बांड स्टाइल में बोतलें बाकू के हाथों से छूटीं और रेयान के हाथ में आ गईं। बाकू के जोर से चिल्लाने से हमें पता चला कि उसे चोट लगी है।
‘‘पकड़ो इस सिरफिरे को !’’ बाकू गुस्से से चिल्लाया।
इस घटना से दानव चौंक गया और उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। सिर्फ उसके कान में बाकू का निर्देश सुनाई पड़ रहा था और उसे पूरा करने के लिए वह आगे बढ़ ही रहा था कि तभी रेयान ने बालकनी के छज्जे पर दोनों कोक की बोतलों को पटककर मारा। दोनों बोतलें पूरी तरह टूट गई थीं और रेयान बोतलों के टूटे हिस्से को हवा में हिला रहा था।
‘‘आ जाओ, शैतानो !’’ रेयान ने गुस्से से लाल होकर कहा।
बाकू और दानव ने अपने कदम थोड़े पीछे किए। अनुराग, जो अभी तक शांत था, अचानक हरकत में आ गया।
‘‘अरे, सब लोग शांत हो जाओ। यह सब कैसे हुआ ? तुम्हारा नाम क्या है–रेयान, अरे आराम से यार ! यह तो सब मजाक चल रहा है।’’
‘‘मेरे लिए यह कोई मजाक नहीं है।’’ रेयान गुर्राया, ‘‘यहाँ से निकल जाओ !’’
आलोक और मैंने एक-दूसरे की तरफ देखा। मेरी यह आशा थी कि रेयान को पता है कि वह क्या कर रहा है। मेरा मतलब है कि जरूर वह कोक की बोतलों से हमारी जान बचा रहा था; लेकिन टूटी कोक की बोतलें भी बहुत घातक हो सकती थीं।
‘‘सुन यार।’’ अनुराग ने बोलना शुरू किया। लेकिन रेयान ने उसे बीच में ही रोक दिया।
‘‘चले जाओ यहाँ से।’’ रेयान इतनी जोर चिल्लाया, जिसके झटके से बाकू मानो पीछे की तरफ उड़ गया हो। असल में वह धीरे-धीरे पीछे जा रहा था और फिर वह थोड़ा और तेज चलने लगा तथा आखिर में वह इतनी तेज-तेज चलने लगा जैसे हवा में उड़ रहा हो। दानव भी उसके पीछे-पीछे भाग निकला। अनुराग थोड़ी देर रेयान की तरफ देखता रहा और फिर उसने हमारी तरफ देखा।
‘‘इसे काबू में रहने को कहो, नहीं तो एक दिन यह अपने साथ तुम दोनों को भी ले डूबेगा।’’ अनुराग ने कहा।
आलोक एवं मैं उठ गए और हमने अपने कपड़े पहन लिये।
‘‘धन्यवाद, रेयान, मैं बहुत ही डर गया था।’’ आलोक ने अपना चश्मा साफ करते हुए कहा, जब उसने अपने हीरो (रेयान) को आमने-सामने देखा।
यही कारण है कि लोग कहते हैं कि आदमी को रोना नहीं चाहिए, क्योंकि रोते हुए वे भद्दे दिखते हैं। आलोक का गंदा चश्मा और आँसू से भरी आँखें इतनी दुःखदायी थीं, जिन्हें देखकर आप भी आत्महत्या कर लें।
‘‘हाँ, धन्यवाद रेयान, काफी जोखिम उठाया तुमने वहाँ। वह बाकू तो बहुत ही गंदा था। लेकिन क्या तुम्हें लगता है कि वे हमारे साथ कुछ करते?’’ मैंने कहा।
‘‘क्या पता ? शायद नहीं।’’ रेयान ने कंधा हिलाते हुए कहा, ‘‘मगर तुम कुछ कह नहीं सकते कि कब लड़के एक-दूसरे को देखकर कुछ गलत हरकतें करने लगें। विश्वास करो मुझ पर, क्योंकि मैं बोर्डिंग स्कूल में बहुत रह चुका हूँ।’’
रेयान के कारनामे हमें एक-दूसरे के इतनी जल्दी इतना नजदीक ले आए जैसे कि फेवीकोल का मजबूत जोड़।। उसके अलावा हम हॉस्टल में एक-दूसरे के साथ-साथवाले कमरों में रहते थे तथा एक ही इंजीनियरिंग विभाग में थे। लोग कहते हैं कि पहली मुलाकात में आप जिसके साथ सोते हैं तो आपको उसके साथ रिश्ता नहीं जोड़ना चाहिए। हम एक-दूसरे के साथ तो नहीं सोए थे, लेकिन अपनी पहली मुलाकात में हमने एक-दूसरे को निर्वस्त्र देखा था तो उस हिसाब से तो हमें दोस्ती नहीं करनी चाहिए थी। लेकिन हमारा साथ रहना तो अनिवार्य था।
मैं एक और बात बताना चाहता हूँ कि यह पुस्तक और क्या नहीं बताती है। यह आपको आई.आई.टी. में प्रवेश लेने में मदद नहीं करती। मैं यह सोचता हूँ कि दुनिया के आधे पेड़ों का इस्तेमाल आई.आई.टी. की परीक्षा में प्रवेश करने के लिए बनी गाइड्स में होता है। उनमें से अधिकतर गाइड्स बकवास हैं, लेकिन इससे अधिक मददगार होंगी।
रेयान, आलोक और मैं शायद इस दुनिया में आखिरी होंगे, जिनसे आप आई.आई.टी. में प्रवेश के लिए कुछ जानकारी लेना चाहें। हम आपको यह सलाह दे सकते हैं कि आप अपने को पुस्तकों के साथ दो वर्ष तक एक कमरे में बंद कर लें और उसकी चाबी फेंक दें। अगर आपके हाई स्कूल के दिन मेरे जितने खराब जा रहे हों तो शायद पुस्तकों के ढेर के साथ रहना कोई बुरा विचार नहीं होगा। मेरे स्कूल के आखिरी दो साल बहुत ही खराब थे, और अगर आप भी मेरी तरह अपने स्कूल की बास्केट बॉल टीम के कप्तान नहीं हैं और आपको गिटार नहीं बजाना आता हो, तो आपके दिन भी उतने ही खराब होंगे। मगर मैं उन चीजों में वापस नहीं जाना चाहता हूँ।
मैं सोचता हूं कि मैंने अपना डिसक्लेमर बता दिया और अब उपन्यास लिखना शुरू करता हूँ।
इसलिए मुझे कहीं-न-कहीं से तो शुरुआत करनी ही है और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में मेरा पहला दिन और रेयान व आलोक से पहली मुलाकात से बेहतर और क्या हो सकता है; हम कुमाऊँ हॉस्टल की दूसरी मंजिल पर साथ-साथ वाले कमरों में रहते थे। प्रथा के अनुसार आधी रात को सीनियर्स ने हमें बालकनी में रैंगिंग के लिए घेर लिया। हम तीनों सावधान खड़े थे और तीन सीनियर हमारे सामने खड़े थे और मैं अपनी आँखों को मल रहा था। अनुराग नामक सीनियर दीवार पर झुककर खड़ा था। दूसरा सीनियर, जो मुझे सस्ते पौराणिक टी.वी. कार्यक्रम के दानव जैसा नजर आ रहा था, जो छह फीट लंबा, जिसका वजन 200 किलोग्राम से ज्यादा और बड़े-बड़े गंदे दाँत ऐसे लग रहे थे कि दस वर्षों से दाँत के डॉक्टर को न दिखाए हों। वैसे तो वह खतरनाक दिख रहा था, पर बोलता कम था और वह अपने बॉस बाकू के लिए भूमिका बनाने में व्यस्त था। बाकू देखने में सूखे काँटे के समान था। उसके शरीर से बदबू आ रही थी।
‘‘अरे, तुम ब्लडी फ्रेशर्स सो रहे हो ? गधो ! परिचय कौन देगा ?’’ बाकू चिल्लाया।
‘‘मेरा नाम हरि कुमार है सर, मेकैनिकल इंजीनियरिंग स्टूडेंट, ऑल इंडिया रैंक 326।’’ पर अगर मैं ईमानदारी से कहूँ तो उस समय मैं बहुत डरा हुआ था।
‘‘मैं आलोक गुप्ता हूँ सर, मेकैनिकल इंजीनियरिंग, रैंक 453।’’ आलोक ने कहा,
जब मैंने उसे पहली बार देखा। उसका कद मेरे जितना ही था पाँच फीट पाँच इंच–वाकई बहुत छोटा और उसने मोटे लेंस का चश्मा एवं सफेद कुरता-पाजामा पहन रखा था।
‘‘रेयान ओबेरॉय, मेकैनिकल इंजीनियरिंग, रैंक 91, सर।’’ रेयान ने भारी आवाज में कहा, जिससे सारी आँखें उसकी तरफ मुड़ गईं। रेयान ओबेरॉय, मैंने अपने मन में दोहराया। ऐसा लड़का जो आई.आई.टी. में कम ही देखने को मिलता है; बहुत ऊँचा कद, सुडौल शरीर और बहुत ही सुंदर। उसने ढीली ग्रे रंग की टी शर्ट पहन रखी थी, जिस पर बड़े नीले अक्षरों में ‘GAP’ लिखा था और चमकीली काले रंग की घुटनों तक की निकर पहन रखी थी। मैंने सोचा कि जरूर उसके रिश्तेदार विदेश में रहते हैं, क्योंकि सोते समय ‘GAP’ के कपड़े कोई नहीं पहनता।
‘‘यू बास्टर्ड !’’ बाकू चिल्लाया, ‘‘अपने कपड़े उतारो!’’
‘‘ऐ बाकू, पहले इनसे थोड़ी बात कर लें।’’ दीवार की तरफ झुककर सिगरेट पीते हुए अनुराग ने रोका।
‘‘नहीं, कोई बात नहीं करेंगे !’’ बाकू ने अपना सूखा हाथ उठाते हुए कहा, ‘‘नहीं, कोई बात नहीं करो, सिर्फ उनके कपड़े उतारो।’’
एक दूसरा दानव थोड़ी-थोड़ी देर में अपने नंगे पेट पर हाथ मारते हुए हम पर हँस रहा था। कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था, इसलिए हम अपने कपड़े उतारकर आत्मसमर्पण कर चुके थे। बाकू भी हँस रहा था और हम सभी सहमे खड़े थे।
जब हम निर्वस्त्र खड़े थे तब हम सबके शरीरों में अंतर साफ नजर आ रहा था; क्योंकि मैं और आलोक अपने गुब्बारे जैसे शरीर को छिपाने के लिए पैर के अँगूठों को जमीन पर दबाकर चित्र बनाने की कोशिश में लगे थे। वहीं रेयान का सुगठित शरीर बिलकुल ऐसा जैसा कि जीव विज्ञान की पुस्तकों में दिखता है। दूसरी तरफ मैं और आलोक बिलकुल बेढंगे।
बाकू ने आलोक को और मुझे आगे बढ़ने के लिए कहा, ताकि सीनियर्स हमे अच्छे से देख सकें और जोर से हँसें।
‘‘देखो, इन छोटे बच्चों को। इनकी माँ ने इन्हें तब तक खिलाया जब तक कि इनके पेट न फट जाएँ।’’ बाकू ने हँसकर कहा।
दानव भी उनके साथ हँसा। धुएँ के गुबार के पीछे दूसरी सिगरेट बुझाते हुए, विरोध प्रभाव दिखाते हुए अनुराग मुसकराया।
‘‘सर, प्लीज सर, हमें जाने दो, सर!’’ अपने नजदीक आते हुए बाकू से आलोक ने खुशामद की।
‘‘क्या ? तुम्हें जाने दूँ ? अभी तो हमने तुम सुंदरियों के साथ कुछ भी नहीं किया। ऐं, तुम दोनों मोटे चलो, अपने चारो हाथ-पैरों पर झुक जाओ’’
मैंने आलोक के चेहरे की तरफ देखा। बुलेटप्रूफ चश्मे के पीछे मुझे उसकी आँखें नहीं दिखाई पड़ रही थीं, लेकिन उसका रुआँसा चेहरा देखकर लग रहा था कि वह भी मेरी तरह रोने ही वाला है।
‘‘चलो, जो वह कहता है, करो।’’ दानव ने धीरे से चेतावनी दी। वह और बाकू एक-दूसरे के पूरक प्रतीत होते थे। बाकू को उसकी ताकत का सहारा चाहिए था, जबकि दानव को उसके निर्देश का सहारा।
आलोक और मैं अपने हाथों व पैरों पर झुक गए। वे हमारे ऊपर और जोरों से हँसे। दानव ने पहली बार अपनी सलाह दी कि इन्हें दौड़ाओ; लेकिन बाकू ने तुरंत मना कर दिया।
‘‘कोई रेस-वेस नहीं, मेरे पास एक इससे भी बढ़िया आइडिया है। जरा रुको, मैं अपने कमरे से होकर आता हूँ। ऐ नंगी गाय, ऊपर मत देखो।’’
फर्श की तरफ देखते हुए हमने तनावपूर्ण 20 सेकंड तक इंतजार किया, जब बाकू बरामदे की तरफ दौड़ रहा था। मैंने तिरछी निगाह से देखा कि आलोक के सिर के पास पानी पड़ा है और आँखों से आंसू टपक रहे हैं। इसी बीच दानव ने रेयान से उसकी मांसपेशियाँ फुलाने और लड़ाकू योद्धा जैसा रूप बनाने के लिए कहा। मुझे पूरी उम्मीद है कि वह फोटो खींचने लायक था, लेकिन मैंने उसको देखने का साहस नहीं किया।
बाकू के आने के कदमों की आहट हमारे कानों में पड़ी।
‘‘देखो, मैं क्या लाया हूँ !’’ उसने अपने हाथ दिखाते हुए कहा।
‘‘बाकू, ये किसलिए ?’’ हम जब अपना सिर ऊपर कर रहे थे तब अनुराग ने पूछा।
बाकू के हाथों में कोक (Coke) की दो खाली बोतलें थीं। दोनों बोतलों को आपस में बजाते हुए बाकू ने कहा, ‘‘सोचो, मैं क्या करने वाला हूँ।’’
सख्त चेहरे और मॉडलिंग पोज में खड़ा रेयान एकदम से बोला, ‘‘सर, आप क्या करने की कोशिश कर रहे हैं?’’
‘‘क्या, ये तो होता ही है और साले, तुम कौन हो पूछनेवाले ?’’ बाकू चिल्लाया।
‘‘सर, रुको।’’ रेयान ने ऊँची आवाज में कहा।
‘अबे साले !’’ अपनी पुरानी दादागिरी के खिलाफ ऐसा विरोध देखकर बाकू की आँखें फटी-की-फटी रह गईं।
जैसे ही बाकू ने बोतल सही स्थिति में पकड़ी, रेयान ने अपना मॉडलिंग पोज छोड़ा और कूदा। अचानक उसने दोनों बोतलों को हाथ से पकड़ा और बाकू के पैरों पर कूद पड़ा। जेम्स बांड स्टाइल में बोतलें बाकू के हाथों से छूटीं और रेयान के हाथ में आ गईं। बाकू के जोर से चिल्लाने से हमें पता चला कि उसे चोट लगी है।
‘‘पकड़ो इस सिरफिरे को !’’ बाकू गुस्से से चिल्लाया।
इस घटना से दानव चौंक गया और उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। सिर्फ उसके कान में बाकू का निर्देश सुनाई पड़ रहा था और उसे पूरा करने के लिए वह आगे बढ़ ही रहा था कि तभी रेयान ने बालकनी के छज्जे पर दोनों कोक की बोतलों को पटककर मारा। दोनों बोतलें पूरी तरह टूट गई थीं और रेयान बोतलों के टूटे हिस्से को हवा में हिला रहा था।
‘‘आ जाओ, शैतानो !’’ रेयान ने गुस्से से लाल होकर कहा।
बाकू और दानव ने अपने कदम थोड़े पीछे किए। अनुराग, जो अभी तक शांत था, अचानक हरकत में आ गया।
‘‘अरे, सब लोग शांत हो जाओ। यह सब कैसे हुआ ? तुम्हारा नाम क्या है–रेयान, अरे आराम से यार ! यह तो सब मजाक चल रहा है।’’
‘‘मेरे लिए यह कोई मजाक नहीं है।’’ रेयान गुर्राया, ‘‘यहाँ से निकल जाओ !’’
आलोक और मैंने एक-दूसरे की तरफ देखा। मेरी यह आशा थी कि रेयान को पता है कि वह क्या कर रहा है। मेरा मतलब है कि जरूर वह कोक की बोतलों से हमारी जान बचा रहा था; लेकिन टूटी कोक की बोतलें भी बहुत घातक हो सकती थीं।
‘‘सुन यार।’’ अनुराग ने बोलना शुरू किया। लेकिन रेयान ने उसे बीच में ही रोक दिया।
‘‘चले जाओ यहाँ से।’’ रेयान इतनी जोर चिल्लाया, जिसके झटके से बाकू मानो पीछे की तरफ उड़ गया हो। असल में वह धीरे-धीरे पीछे जा रहा था और फिर वह थोड़ा और तेज चलने लगा तथा आखिर में वह इतनी तेज-तेज चलने लगा जैसे हवा में उड़ रहा हो। दानव भी उसके पीछे-पीछे भाग निकला। अनुराग थोड़ी देर रेयान की तरफ देखता रहा और फिर उसने हमारी तरफ देखा।
‘‘इसे काबू में रहने को कहो, नहीं तो एक दिन यह अपने साथ तुम दोनों को भी ले डूबेगा।’’ अनुराग ने कहा।
आलोक एवं मैं उठ गए और हमने अपने कपड़े पहन लिये।
‘‘धन्यवाद, रेयान, मैं बहुत ही डर गया था।’’ आलोक ने अपना चश्मा साफ करते हुए कहा, जब उसने अपने हीरो (रेयान) को आमने-सामने देखा।
यही कारण है कि लोग कहते हैं कि आदमी को रोना नहीं चाहिए, क्योंकि रोते हुए वे भद्दे दिखते हैं। आलोक का गंदा चश्मा और आँसू से भरी आँखें इतनी दुःखदायी थीं, जिन्हें देखकर आप भी आत्महत्या कर लें।
‘‘हाँ, धन्यवाद रेयान, काफी जोखिम उठाया तुमने वहाँ। वह बाकू तो बहुत ही गंदा था। लेकिन क्या तुम्हें लगता है कि वे हमारे साथ कुछ करते?’’ मैंने कहा।
‘‘क्या पता ? शायद नहीं।’’ रेयान ने कंधा हिलाते हुए कहा, ‘‘मगर तुम कुछ कह नहीं सकते कि कब लड़के एक-दूसरे को देखकर कुछ गलत हरकतें करने लगें। विश्वास करो मुझ पर, क्योंकि मैं बोर्डिंग स्कूल में बहुत रह चुका हूँ।’’
रेयान के कारनामे हमें एक-दूसरे के इतनी जल्दी इतना नजदीक ले आए जैसे कि फेवीकोल का मजबूत जोड़।। उसके अलावा हम हॉस्टल में एक-दूसरे के साथ-साथवाले कमरों में रहते थे तथा एक ही इंजीनियरिंग विभाग में थे। लोग कहते हैं कि पहली मुलाकात में आप जिसके साथ सोते हैं तो आपको उसके साथ रिश्ता नहीं जोड़ना चाहिए। हम एक-दूसरे के साथ तो नहीं सोए थे, लेकिन अपनी पहली मुलाकात में हमने एक-दूसरे को निर्वस्त्र देखा था तो उस हिसाब से तो हमें दोस्ती नहीं करनी चाहिए थी। लेकिन हमारा साथ रहना तो अनिवार्य था।
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