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नई राहें नए इरादे

बराक ओबामा

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :239
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 7428
आईएसबीएन :978-81-7315-726

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अमेरिकी राष्ट्रपति की बेस्टसेलर पुस्तक Change We Can Believe In का हिंदी अनुवाद...

Nayee Rahen Naye Irade - A Hindi Book - by Barack Obama

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

आज पूरा विश्व एक परिवर्तन चाह रहा है। असफल नीतियों और पथभ्रष्ट राजनीति ने ऐसी भयावह स्थिति पैदा कर दी है, जिसमें हर ओर केवल भटकाव और उदासी फैली है।
ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आशा की एक किरण दिखाई है। उनका विश्वास है कि दृढ़-निश्चय से ईमानदारी के साथ सबको साथ लेकर चलने की मंशा से हर विषम परिस्थिति का सामना किया जा सकता है और विकास के पथ पर आगे बढ़ा जा सकता है। वे कहते हैं कि हमने कठिनाइयों और अपने हिस्से की असफलताओं का सामना किया; परंतु उनसे सीखा कि चुनौती चाहे जितनी भी बड़ी हो और हालात कितने भी बुरे हों, परिवर्तन हमेशा संभव है; यदि आप उसके लिए काम करने, संघर्ष करने और सबसे बढ़कर उसमें विश्वास रखने के लिए तैयार हैं।
सकारात्मक परिवर्तन की इसी ललक को मन में जाग्रत् करने के लिए प्रेरित करती है विचारोत्तेजक तथा दिशा-निर्धारक पुस्तक नई राहें, नए इरादे।

अमेरिका की आशा

हम इस समय एक कड़ी चुनौती और महान् अवसर के दौर में हैं। पूरे अमेरिका में परिवर्तन की माँग को लेकर समवेत स्वर उठ रहे हैं। अमेरिकावासी कुछ सामान्य चीजें चाहते हैं, जो पिछले आठ वर्षों में वाशिंगटन उन्हें दे नहीं पाया है–एक ऐसी अर्थव्यवस्था, जो कड़ी मेहनत करनेवालों के प्रयासों की कद्र करती हो; एक ऐसी सुरक्षा नीति, जो हम सबके सामने खड़े खतरों का मुकाबला करने के लिए दुनिया को साथ लेकर चलती हो तथा अमेरिका को अधिक सुरक्षित बनाती हो; एक ऐसी राजनीति जो लोगों को दलगत सोच से ऊपर उठाकर उन्हें सामूहिक हितों के लिए कार्य करना सिखाती हो। उनकी माँगें बहुत बड़ी नहीं हैं। यह ऐसा परिवर्तन है जिसके अमेरिकावासी अधिकारी हैं।

फिर भी हमारा देश युद्ध में फँसा हुआ है, हमारी अर्थव्यवस्था अस्थिर है और हमारी पृथ्वी संकट में है। अमेरिकी परिवार एक ऐसी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के साथ जी रहे हैं, जिसकी लागत तो अधिक है परंतु लाभ कम है, जो परिवारों और व्यवसायों को दिवालिया बना देती है; ऐसे स्कूलों के साथ जो बहुत बड़ी संख्या में हमारे बच्चों के लिए अवसर पैदा नहीं कर पाते तथा एक ऐसी सेवानिवृत्ति व्यवस्था, जो कदाचित् अपने वादे के अनुसार नहीं दे पाएगी। देश भर में लोग अपनी गाड़ियों में ईंधन तथा शॉपिंग ट्रालियों में सामान भरने के लिए रिकॉर्ड कीमतें अदा कर रहे हैं। बहुत बड़ी संख्या में अमेरिकी नागरिक इस बात से चिंताग्रस्त हैं कि क्या वे अपने बच्चों का पालन-पोषण सुरक्षित वातावरण में कर पाएँगे तथा उन्हें एक बेहतर जीवन प्रदान कर सकेंगे ?

परंतु ये चुनौतियाँ अपरिहार्य नहीं थीं। वे दोषपूर्ण नीतियों तथा असफल नेतृत्व की देन हैं। जिस तरह से हमारी दुनिया और अर्थव्यवस्था बदली है, वाशिंगटन की सोच इक्कीसवीं सदी की कसौटियों के साथ उसी रफ्तार से नहीं चल पाई। अमेरिका की प्रतिस्पर्द्धात्मक क्षमता में निवेश करने या राष्ट्रीय सुरक्षा पर मँडरा रही नई चुनौतियों का सामना करने के बजाय हमने सर्वाधिक संपन्न अमेरिकियों के टैक्स में कटौती तथा इराक में एक ऐसे निस्सीय युद्ध के प्रति प्रतिबद्धता देखी है, जो हमें अधिक सुरक्षित नहीं बना रहा है और साथ ही हमारी सुरक्षा को जिन शक्तियों से सचमुच खतरा है, उनसे भी हमारा ध्यान हटा रहा है। परिणामस्वरूप, बहुत कम अमेरिकियों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था का लाभ उठाया है तथा अधिकाधिक अमेरिकी ज्यादा मेहनत करके कम प्रतिफल पा रहे हैं और हमारा देश अपनी नियति पर से नियंत्रण खोता जा रहा है।

इस नई सदी के आरंभिक वर्ष कुछ अलग होने चाहिए थे–जब अमेरिका के नेताओं में इतनी शक्ति थी कि वे प्रतिकूलता को अवसर में बदल सकते थे, इतनी बुद्धिमत्ता थी कि वे निकट भविष्य को देख सकते थे, इतना साहस था कि वे पारंपरिक सोच और घिसे-पिटे विचारों को चुनौती दे सकते थे। हम अपनी अर्थव्यवस्था को नए सिरे से गढ़ सकते थे तथा नए खतरों का सामना उन तरीकों से कर सकते थे, जिनमें भावी संभावना छिपी हुई हो।

इसके बजाय ये पिछले आठ वर्ष अप्रतिष्ठित विचारों के प्रति आसक्ति और अड़ियलपन के लिए याद किए जाएँगे। जरा सोचिए कि यदि हम एकजुट होते और मिलकर कार्य करते तो हम क्या कर सकते थे ? अपने बच्चों के लिए विश्वस्तरीय शिक्षा के प्रति सचमुच प्रतिबद्ध होने और उन्हें कल के रोजगारों के लिए तैयार करने के बजाय हमने ‘कोई बच्चा पीछे न रह जाए’ कानून पास कर दिया, जिसके उद्देश्य तो सही थे, परंतु जिसके लिए पर्याप्त धन उपलब्ध नहीं कराया गया तथा हम शिक्षकों, प्राचार्यों और स्कूल बोर्डों को सशक्त बनाने में असफल रहे। खनिज तेल की अपनी तल को छोड़ने के बजाय हम उस रास्ते पर चलते रहे जो हमारे डॉलरों को निरंकुश और अत्याचारी शासकों के पास भेजता रहा है, हमारी पृथ्वी को खतरे में डालता है और हम अमेरिकियों को एक गैलन पेट्रोल के लिए 4 डॉलर खर्च करने के लिए मजबूर करता है। हमारी खस्ताहाल सड़कों और पुलों के पुनर्निर्माण एवं नवप्रवर्तन में निवेश के बजाय हमने समृद्धतम अमेरिकियों को करों में छूट देने के नाम पर करोड़ों डॉलर खर्च कर दिए। सभी अमेरिकियों के लिए स्वास्थ्य-सेवा लागतों में कमी करने के बजाय हमने कुछ नहीं किया तथा प्रीमियमों, सह-भुगतान और जेब खर्चों को आसमान छूते देखा है। और, जब हम अल कायदा को खदेड़ रहे थे तब दुनिया को अपने साथ लेने के बजाय हम इराक में एक ऐसे युद्ध पर सौकड़ों अरब डॉलर खर्च करते रहे, जिसे कभी अधिकृत या शुरू नहीं किया जाना चाहिए था।

पिछले आठ वर्ष अमेरिकी जनता की नहीं वरन् अमेरिकी नेतृत्व की असफलता के वर्ष रहे हैं।
बराक ओबामा का विश्वास है कि हम अपनी दिशा बदल सकते हैं और ऐसा हमें करना ही चाहिए। वे भविष्य को आशावादिता के साथ देखते हैं। हमारे देश ने पहली बार विपत्ति का सामना नहीं किया; और जब भी किया है, हमारी जनता ने दृढ़ इच्छाशक्ति जुटाकर उन चुनौतियों से निपटने के उपाय खोजे हैं। यह घड़ी कुछ अलग नहीं है। मिल-जुलकर कार्य करने से हम अपनी अर्थव्यवस्था को फिर से जीवंत बना सकते हैं तथा प्रत्येक परिवार को सफल होने के अवसर प्रदान कर सकते हैं। हम सब को संकट में डालनेवाले अंतरराष्ट्रीय खतरों का मुकाबला करने में हम दुनिया का नेतृत्व कर सकते हैं। हम अपने बुनियादी अमेरिकी मूल्यों का पुनः सबलीकरण करके अपने राष्ट्र को परिपूर्ण बना सकते हैं और इस समय हम ऐसे निवेश कर सकते हैं, जो इस नई वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिका को सबसे आगे खड़ा कर देंगे।

इस चुनाव में विकल्प वामपंथ और दक्षिणापंथ या रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच नहीं है। हमारे सामने विकल्प–भूतकाल व भविष्य के बीच है।

वास्तविक परिवर्तन लाने के लिए हमें एक नए प्रकार की राजनीति की आवश्यकता है, जो अमेरिकी जनता को अपनी सरकार से पुनः जोड़े और जो मतपेटी में एक वोट का ही आश्वासन न दे, बल्कि उन्हें एक ऐसी आवाज प्रदान करे जिसकी वाशिंगटन उपेक्षा नहीं कर सकता। प्रत्येक पृष्ठभूमि और देश के प्रत्येक कोने से आए अमेरिकी एक ऐसी राजनीति की लालसा रखते हैं जो हमें तोड़कर खंड-खंड करने के बजाय एकता के सूत्र में बाँधे। वे जो कुछ चाहते हैं–और हमारे देश को जिसकी जरूरत है–वह अंध-अविवेकी सहमति नहीं है। अमेरिकी हर बात पर सहमत नहीं होते और न ही हमें होना चाहिए। परंतु हमें परिभाषित करनेवाले सभी लेबलों और श्रेणियों के बावजूद अमेरिकी शालीन, उदार एवं संवेदनशील लोग हैं, जो अपने सामने खड़ी सामूहिक चुनौतियों और अपनी सामूहिक आशाओं को लेकर एक हैं। जब उस बुनियादी अच्छाई और देशभक्ति का आह्वान किया जाता है, तब हमारा देश उनका भरपूर परिचय देता है। बराक ओबामा का उसमें गहरा विश्वास है। राष्ट्रपति के रूप में वे इस ओवल कार्यालय के वर्तमान पदाधिकारी की तुलना में बिलकुल अलग तरह से कार्य करेंगे।

राष्ट्रपति के रूप में बराक ओबामा पहले दिन से ही कार्यशैली में ऐसे आचार संबंधी ऐतिहासिक सुधार करेंगे, जो व्हाइट हाउस को पीपल्स हाउस में तब्दील कर दे।

बराक ओबामा

• उस रिवॉल्विंग दरवाजे को बंद कर देंगे, जो सरकारी कर्मचारियों के लिए अपनी प्रशासकीय जिम्मेदारियों को सत्ता के दलालों के रूप में इस्तेमाल किया जाना संभव बना देता है।

• बिना बॉली के ठेकों की बुराई समाप्त कर देंगे तथा पदासीन रीजनीतिज्ञों को उपहार देना पूरी तरह से प्रतिबंधित कर देंगे।

• नौकरियाँ दलगत या विचारधारा के आधार पर नहीं, बल्कि केवल योग्यता और अनुभव के आधार पर देंगे।

• सरकार को और अधिक खुली व पारदर्शी बनाने के लिए इंटरनेट का उपयोग करेंगे, ताकि कोई भी यह देख सके कि वाशिंगटन का काम लोगों की सेवा करना है।

वाशिंगटन को चुस्त-दुरुस्त बनाकर हम देश के सामने खड़ी चुनौतियों का सामना करने में समर्थ होंगे। सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है–अर्थव्यवस्था को उछाल के साथ शुरू करना और यह सुनिश्चित करना कि अधिक-से-अधिक लोगों को उसका लाभ मिल सके।


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